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गंगा स्नान के नियम: आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर की महत्वपूर्ण सलाह

गंगा नदी को हिंदू धर्म में मां का स्वरूप माना जाता है, और इसके स्नान से पापों का नाश होता है। आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर जी ने गंगा स्नान के दौरान पालन करने योग्य महत्वपूर्ण नियमों के बारे में बताया है। वे कहते हैं कि गंगा स्नान का असली लाभ तभी मिलता है जब व्यक्ति कुछ विशेष नियमों का पालन करे। इस लेख में जानें कि गंगा स्नान के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ताकि आप सही तरीके से इस पवित्र जल में स्नान कर सकें।
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गंगा स्नान के नियम: आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर की महत्वपूर्ण सलाह

गंगा नदी का महत्व


हिंदू धर्म में गंगा को मां का रूप माना जाता है। यह मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से गंगा में स्नान करता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं। हालांकि, प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर जी का कहना है कि गंगा स्नान का फल तभी मिलता है जब कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन किया जाए। उनके अनुसार, गंगा स्नान करने वाले अधिकांश लोग इन नियमों से अनजान होते हैं और अनजाने में ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जिससे उनके पाप और बढ़ जाते हैं।


गुरु देवकीनंदन ठाकुर की सलाह

गुरु देवकीनंदन ठाकुर के अनुसार, गंगा स्नान का असली लाभ समझना आवश्यक है। वे बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति गंगा स्नान का संकल्प लेकर नंगे पांव गंगा की ओर बढ़ता है, तो उसे हर कदम पर राजसूय और अश्वमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है। लेकिन यदि कोई चप्पल पहनकर जाता है, तो आधा पुण्य उसकी चप्पल ले लेती है। इसी प्रकार, जो लोग गाड़ी से किनारे तक पहुँचते हैं, उनके स्नान का आधा फल उनकी गाड़ी को मिल जाता है। इसलिए, गंगा से कुछ दूरी पर वाहन छोड़कर नंगे पैर जाना चाहिए।


गंगा स्नान की पवित्रता

गंगा में प्रवेश करने से पहले गंगा माता का पूजन, आचमन और संकल्प करना चाहिए। ठाकुर जी के अनुसार, जैसे ही कोई गंगा में कदम रखता है, वह नारायण के समान माना जाता है। जब वह गंगा जल को किसी पात्र में भरता है, तो उसे ब्रह्मा तुल्य माना जाता है। और जब वह डुबकी लगाकर गंगा जल सिर पर लेता है, तो वह शिव के समान होता है। इसलिए, गंगा स्नान को अत्यंत पवित्र माना गया है।


गंगा तट पर भजन-कीर्तन का महत्व

गुरुदेव यह भी बताते हैं कि गंगा में कुल्ला करना, कपड़े धोना या शरीर को जोर-जोर से रगड़ना गलत है, क्योंकि गंगा केवल पाप धोने के लिए है। शास्त्रों में लिखा है कि गंगा में कुल्ला करने से पाप लगता है और गंगा किनारे शौच करना ब्रह्म हत्या के समान पाप माना गया है।


अक्सर लोग गंगा स्नान के बाद तौलिये से शरीर पोंछ लेते हैं, लेकिन ठाकुर जी का कहना है कि ऐसा करने से गंगा स्नान का पुण्य नष्ट हो जाता है। शरीर को प्राकृतिक रूप से सूखने देना चाहिए और तब तक गंगा तट पर रुककर भजन-कीर्तन करना चाहिए। अंत में, वे सलाह देते हैं कि गंगा स्नान पर जाने से पहले घर में सामान्य स्नान अवश्य कर लेना चाहिए। इन नियमों का पालन करने पर ही गंगा स्नान का वास्तविक पुण्य प्राप्त होता है।