गणेशजी के प्रिय अंकों का रहस्य: 1 और 21 का महत्व

गणेशजी के प्रिय अंक
गणेशजी का प्रिय अंक: भक्त गणेशजी की कृपा पाने के लिए विभिन्न साधनाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति का पसंदीदा अंक कौन सा है? शास्त्रों में 1 और 21 को विशेष महत्व दिया गया है। अंक 1 उनके एकदंत स्वरूप को दर्शाता है, जबकि 21 का संबंध उनकी पूजा में चढ़ाए जाने वाले दूर्वा, मोदक और प्रदक्षिणा से है। यह प्रश्न भक्तों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न करता है। आइए, जानते हैं इन अंकों के पीछे छिपे गहरे रहस्य!
गणेशजी के प्रिय अंकों का महत्व
शास्त्रों में गणेशजी के प्रिय अंक 1 और 21 को दो स्तरों पर समझा जाता है। ये अंक गणेशजी से आध्यात्मिक और पौराणिक रूप से गहराई से जुड़े हुए हैं। इनके पीछे की कथा न केवल दिलचस्प है, बल्कि भक्ति से भरी हुई भी है।
अंक 1 का महत्व
एकदंत का प्रतीक: गणेशजी को एकदंत कहा जाता है, क्योंकि उनके पास केवल एक दांत है। यह उनकी विशिष्ट पहचान को दर्शाता है।
प्रथम पूज्य: हर पूजा की शुरुआत गणेशजी से होती है, इसलिए वे हमेशा पहले स्थान पर होते हैं।
एकत्व का संदेश: शास्त्रों में गणेशजी को ब्रह्मांड की शुरुआत और अद्वितीयता का प्रतीक माना गया है। इसलिए अंक 1 को गणपति का प्रिय अंक कहा जाता है।
अंक 21 का महत्व
गणेशजी और अंक 21 का संबंध विशेष है। आइए जानते हैं क्यों:
21 दूर्वा की परंपरा: गणेश पूजा में 21 दूर्वा (दूब) चढ़ाने की परंपरा है, जो उनकी कृपा प्राप्त करने का एक विशेष तरीका है।
21 मोदक का भोग: गणेश चतुर्थी पर 21 मोदक चढ़ाए जाते हैं, जो गणपति को अत्यंत प्रिय हैं।
21 नामों का जाप: गणेशजी के 21 विशेष नामों का जाप भक्तों के लिए शुभ माना जाता है।
21 प्रदक्षिणा: कई स्थानों पर गणेशजी की पूजा में 21 बार प्रदक्षिणा करने का विधान है।
20 गण + 1 गणपति: मान्यता है कि गणेशजी के 20 गण हैं। जब भक्त 21 वस्तुएं अर्पित करते हैं, तो 21वीं वस्तु स्वयं गणपति स्वीकार करते हैं। यही कारण है कि 21 को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
अंक ज्योतिष में 21 का रहस्य
अंक ज्योतिष के अनुसार, 2 और 1 का योग 3 होता है, जो त्रिमूर्ति - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। गणेशजी को त्रिमूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए 21 को देवत्व और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। यह अंक भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और सकारात्मकता प्रदान करता है।
गणेश पूजा में अंकों का महत्व
गणेशजी का प्रिय अंक दो रूपों में देखा जाता है:
1: उनकी अद्वितीयता और प्रथम पूज्य स्थान का प्रतीक।
21: पूजा की परंपराओं, गणों और स्वयं गणपति के आशीर्वाद का प्रतीक।
इसलिए, जब भी आप गणेशजी की पूजा करें, 21 दूर्वा और 21 मोदक चढ़ाना न भूलें। यह न केवल परंपरा है, बल्कि वह आध्यात्मिक सूत्र है, जो भक्तों को गणपति की कृपा से जोड़ता है।