Newzfatafatlogo

गायत्री जयंती 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र

गायत्री जयंती 2025 का पर्व 6 जून को मनाया जाएगा। इस दिन मां गायत्री की पूजा, मंत्र जाप और आरती से भक्तों को सुख, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। जानें इस पर्व की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और गायत्री मंत्र का महत्व।
 | 
गायत्री जयंती 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र

गायत्री जयंती का महत्व

हिंदू धर्म में मां गायत्री को ज्ञान की देवी और वेदों की जननी माना जाता है। उन्हें 'वेदमाता' का सम्मान प्राप्त है, क्योंकि वे ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की शक्ति का स्रोत मानी जाती हैं।


गायत्री जयंती 2025 की तिथि

गायत्री जयंती का पर्व भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष, यह 6 जून 2025 को मनाया जाएगा, जब भक्त मां की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करेंगे।


पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा और मंत्र जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पूजा आरंभ करने से पहले प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।


घर के पूजा स्थल पर मां गायत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें गंगाजल, चंदन, फूल, धूप, दीप और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें, जो आत्मिक शांति और बुद्धि को प्रखर करता है।


यदि संभव हो, तो हवन में गायत्री मंत्र के साथ आहुति दें। पूजा के अंत में गायत्री माता की आरती करें और अन्न, गुड़ या गेहूं का दान करें।


गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र, "ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥" जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और ज्ञान का संचार करता है। इस मंत्र का जाप न केवल मन को शांत करता है, बल्कि जीवन की बाधाओं को भी दूर करता है।


गायत्री चालीसा

गायत्री जयंती पर चालीसा का पाठ और आरती का गान मां की कृपा को और अधिक आकर्षित करता है। चालीसा में मां की महिमा का वर्णन है, जो भक्तों को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।


गायत्री चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ मिलते हैं।


आरती का महत्व

मां गायत्री की आरती, "जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता," भक्तों के हृदय में भक्ति और शांति का संचार करती है।


गायत्री माता का आध्यात्मिक महत्व

मां गायत्री का महत्व हिंदू संस्कृति में अनन्य है। वे सृष्टि की सृजनशक्ति, ज्ञान और समृद्धि की प्रतीक हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां गायत्री के बिना वेदों और श्रुतियों की उत्पत्ति संभव नहीं थी।


वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूज्य देवी हैं और सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती के रूप में भी पूजी जाती हैं। गायत्री जयंती का यह पर्व भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति का अवसर देता है।