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गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस: दिल्ली में मेमोरियल की विशेषताएँ

आज, 25 नवंबर 2025 को, गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर दिल्ली में गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की विशेषताएँ और ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा की जा रही है। यह स्मारक न केवल सिख धर्म के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान का भी एक अहम हिस्सा है। जानें इस मेमोरियल की अनोखी वास्तुकला, सुविधाएँ और कैसे पहुंचें।
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गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस: दिल्ली में मेमोरियल की विशेषताएँ

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल दिल्ली

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल दिल्ली: आज 25 नवंबर 2025 को गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर देशभर में लोग नौवें सिख गुरु की वीरता, उनके बलिदान और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को याद कर रहे हैं। दिल्ली के शीश गंज और रकाब गंज गुरुद्वारे सहित कई स्थानों पर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ देखी जा रही है।


यदि आप गुरु तेग बहादुर के जीवन और उनकी विरासत के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो दिल्ली में एक महत्वपूर्ण स्थल है—गुरु तेग बहादुर मेमोरियल। यह स्मारक केवल ऐतिहासिक धरोहर नहीं है, बल्कि दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


गुरु तेग बहादुर मेमोरियल का निर्माण

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल कब बना?


गुरु तेग बहादुर मेमोरियल का निर्माण 2011 में पूरा हुआ और उसी वर्ष इसे आम जनता के लिए खोला गया। यह विशाल परिसर लगभग 11.87 एकड़ में फैला है और इसके निर्माण पर लगभग 26 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित इस स्मारक का रखरखाव दिल्ली पर्यटन विभाग करता है।


गुरु तेग बहादुर को ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने औरंगज़ेब के अत्याचारों के खिलाफ हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह स्मारक उनकी अदम्य शहादत का प्रतीक है।


गुरु तेग बहादुर मेमोरियल का स्थान

दिल्ली में गुरु तेग बहादुर मेमोरियल कहाँ स्थित है?


यह स्मारक दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर जीटी करनाल रोड (NH-1) के किनारे स्थित है। दिल्ली सरकार ने राजधानी के प्रवेश द्वारों को विशेष पहचान देने की योजना के तहत इस भव्य स्मारक का निर्माण किया।


दिल्ली में प्रतिदिन हजारों लोग इस मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इस स्मारक की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वता को जानते हैं।


गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की विशेषताएँ

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की खासियत


यह परिसर लगभग 12 एकड़ में फैला है और इसकी अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां की 24 मीटर ऊंची केंद्रीय संरचना गुरु तेग बहादुर की शक्ति, त्याग और बलिदान का प्रतीक है।


इसके चारों ओर अंग्रेजी अक्षर ‘C’ के आकार में बने तीन आर्च उनके तीन प्रमुख अनुयायियों—भाई मति दास, भाई दयाल दास, और भाई सती दास—की शहादत को दर्शाते हैं।


तीनों अनुयायियों की शहादत

तीनों को औरंगज़ेब ने बेहद क्रूर तरीके से मौत के घाट उतारा था—


भाई मति दास को आरी से बीच में से चीर दिया गया,


भाई दयाल दास को खौलते पानी में उबालकर मार दिया गया,


भाई सती दास के शरीर को टुकड़ों में काट दिया गया।


केंद्रीय संरचना के पास 10 मोनोलिथ खड़े हैं, जो सिख परंपरा के दस गुरुओं का प्रतीक हैं। पहले यहां पंचतत्व—ध्वनि, अग्नि, हवा, जल और पृथ्वी—पर आधारित लाइट एंड साउंड शो भी आयोजित किया जाता था।


गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की सुविधाएँ

गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की सुविधाएं


स्मारक परिसर में एक बड़ा, खूबसूरत और हरियाली से भरा लॉन है, जहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं। यहां 100 लोगों की क्षमता वाला मीटिंग रूम, एक कॉफी हाउस, और विभिन्न कार्यक्रमों के लिए स्थान उपलब्ध है।


मेमोरियल का समय और टिकट

मेमोरियल का समय और टिकट


प्रवेश शुल्क:


वयस्क: 10 रुपये


12 वर्ष से कम बच्चे: 5 रुपये


पार्किंग: बिल्कुल मुफ्त


मार्च–अक्टूबर: सुबह 8 बजे – शाम 6 बजे
नवंबर–फरवरी: सुबह 8 बजे – शाम 5:30 बजे


कैसे पहुंचें?

कैसे पहुंचें?


सिंघू बॉर्डर से दूरी: लगभग 1.5 किमी


नजदीकी मेट्रो स्टेशन: समयपुर बादली (16 किमी)


एयरपोर्ट: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (39 किमी)