जीन-संपादित भेड़: किसानों के लिए नई उम्मीद

जीन-संपादित भेड़: किसानों के लिए नई उम्मीद
जीन-संपादित भेड़: किसानों के लिए नई उम्मीद: जीन-संपादित भेड़ ने भारत के पशुपालन और कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) ने CRISPR-Cas9 तकनीक की सहायता से भारत की पहली जीन-संपादित भेड़ विकसित की है।
यह भेड़ न केवल अधिक मांस उत्पादन करती है, बल्कि ऊन उत्पादन में भी उत्कृष्ट है। यह वैज्ञानिक उपलब्धि किसानों की आय बढ़ाने और पशुपालन को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, इस अद्भुत खोज की दिलचस्प कहानी को जानें।
CRISPR-Cas9: विज्ञान की जादुई चाबी
CRISPR-Cas9 एक अत्याधुनिक जीन संपादन तकनीक है, जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के डीएनए में सटीक परिवर्तन करने की क्षमता प्रदान करती है। इस तकनीक का उपयोग करते हुए मायोस्टेटिन जीन को लक्षित किया गया, जो भेड़ की मांसपेशियों के विकास को नियंत्रित करता है।
SKUAST के वैज्ञानिकों ने इस जीन में बदलाव कर भेड़ को तेजी से वजन बढ़ाने और अधिक मांस उत्पादन करने में सक्षम बनाया। खास बात यह है कि इसमें किसी बाहरी जीन का उपयोग नहीं किया गया। यह तकनीक पशुपालन के भविष्य को बदलने की क्षमता रखती है।
किसानों के लिए डबल फायदा
भेड़ पालन भारत के ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। जीन-संपादित भेड़ सामान्य भेड़ों की तुलना में 30% अधिक वजनदार होती है, जिससे मांस उत्पादन में वृद्धि होती है, जो सीधे किसानों की आय को बढ़ाता है।
इसके अलावा, यह भेड़ मेरिनो नस्ल से संबंधित है, जिसकी देखभाल में अधिक मेहनत नहीं लगती। ऊन उत्पादन के लिए भी यह भेड़ 2 से 2.5 किलो ऊन देती है। इस प्रकार, किसानों को मांस और ऊन दोनों से लाभ होगा।
चार साल की मेहनत, ऐतिहासिक नतीजा
इस जीन-संपादित भेड़ के विकास के पीछे SKUAST-कश्मीर के वेटरनरी साइंसेज फैकल्टी के डीन डॉ. रियाज अहमद शाह और उनकी टीम की चार साल की मेहनत है। इससे पहले, 2012 में डॉ. शाह की टीम ने भारत की पहली क्लोन की गई पश्मीना बकरी ‘नूरी’ बनाई थी। अब इस नई वैज्ञानिक उपलब्धि ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। यह शोध पशुपालन में नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।
भविष्य की राह: कृषि और पशुपालन में क्रांति
जीन-संपादित भेड़ की सफलता CRISPR तकनीक की ताकत को दर्शाती है। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ICAR द्वारा विकसित जीन-संपादित चावल की किस्में लॉन्च की थीं। अब भेड़ पालन में यह नई खोज किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी। यह वैज्ञानिक प्रगति न केवल पशुपालन, बल्कि कृषि विज्ञान को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। आने वाले समय में यह तकनीक अन्य क्षेत्रों में भी प्रभाव डाल सकती है।