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ज्योतिष में नक्षत्रों का महत्व और ग्रहों का प्रभाव

इस लेख में वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों और ग्रहों के महत्व को समझाया गया है। जानें कि कैसे 27 नक्षत्र जातक के स्वभाव को प्रभावित करते हैं और कुंडली में ग्रहों का क्या स्थान होता है। यह जानकारी आपको ज्योतिष के गहरे रहस्यों को समझने में मदद करेगी।
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ज्योतिष में नक्षत्रों का महत्व और ग्रहों का प्रभाव

नक्षत्रों की परिभाषा और महत्व

नई दिल्ली: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, आकाश में तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। ज्योतिषीय गणना के लिए आकाश को 27 नक्षत्रों में विभाजित किया गया है।


कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों का संबंध

किसी भी कुंडली की ज्योतिषीय गणना में 9 ग्रह और 12 राशियां शामिल होती हैं, साथ ही 27 नक्षत्र भी होते हैं। हर ग्रह को 3 नक्षत्रों का स्वामी माना गया है।


कुंडली के भाव और उनके स्वामी ग्रह

कुंडली के प्रत्येक भाव का एक स्वामी और कारक ग्रह होता है। उदाहरण के लिए, पहले भाव का स्वामी मंगल देव है और कारक सूर्य है। दूसरे भाव का स्वामी शुक्र देव है, जबकि कारक गुरु बृहस्पति देव हैं। इसी तरह से अन्य भावों के स्वामी और कारक ग्रह भी निर्धारित होते हैं।


नक्षत्रों की गणना और चंद्रमा का प्रभाव

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन 27 नक्षत्रों को दक्ष प्रजापति की पुत्रियां माना गया है। चंद्रमा लगभग 27 दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जिससे 27 नक्षत्रों का निर्माण होता है। इसे नक्षत्र मास कहा जाता है।


27 नक्षत्रों की सूची

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, 27 नक्षत्रों में अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती शामिल हैं।


नक्षत्रों के स्वामी ग्रह

हर नक्षत्र के स्वामी ग्रह का ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि यह जातक के स्वभाव को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, अश्विन, मघा और मूल नक्षत्र के स्वामी केतु हैं, जबकि भरणी और पूर्वाफाल्गुनी के स्वामी शुक्र हैं।


गण्ड मूल नक्षत्र

अश्विन, मघा, और मूल नक्षत्र जिनके स्वामी केतु हैं, और आश्लेषा, ज्येष्ठा, और रेवती जिनके स्वामी बुध हैं, इन 6 नक्षत्रों को गण्ड मूल नक्षत्र कहा जाता है।


कुंडली में नक्षत्रों का प्रभाव

कुंडली के 12 घरों में जहां भी 9 ग्रह स्थित होते हैं, वहां कोई न कोई नक्षत्र होता है। नक्षत्र का ग्रहों के स्वभाव पर गहरा प्रभाव होता है, जिससे जातक की सोच और जीवनशैली प्रभावित होती है।