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दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर विशेष समारोह और संदेश

दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन पर सहानुभूति और दया का संदेश दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनके योगदान की सराहना की। मैकलोडगंज में इस अवसर पर एक सप्ताह भर चलने वाले महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें धार्मिक चर्चाएं और सामूहिक प्रार्थनाएं शामिल हैं। जानें इस खास दिन के बारे में और दलाई लामा के विचारों को।
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दलाई लामा का 90वां जन्मदिन

रविवार का दिन तिब्बती समुदाय और उनके अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, क्योंकि आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने 90 वर्ष पूरे किए। इस खास मौके पर न केवल तिब्बती समाज ने जश्न मनाया, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनके योगदान की सराहना की।


दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर वैश्विक समुदाय से अनुरोध किया कि वे सहानुभूति, दया और सकारात्मकता को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि सच्ची शांति केवल बाहरी विकास से नहीं, बल्कि आंतरिक अच्छाई और सभी के प्रति सहृदयता से आती है।


एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने बताया कि भौतिक प्रगति महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि हम अपने दिल को कोमल बनाए रखें—चाहे वह अपने करीबी लोगों के लिए हो या अजनबियों के लिए। उनके अनुसार, इसी सोच से हम एक शांतिपूर्ण और संवेदनशील समाज का निर्माण कर सकते हैं।


प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके जीवन को करुणा, धैर्य और नैतिक मूल्यों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि भारत की 1.4 अरब जनता की ओर से वह दलाई लामा के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं। साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दलाई लामा की शिक्षाओं ने विभिन्न धर्मों के अनुयायियों में आपसी सम्मान और सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा दिया है।


हिमाचल प्रदेश के मैकलोडगंज में तिब्बती समुदाय ने इस अवसर को एक सप्ताह भर चलने वाले महोत्सव के रूप में मनाने की योजना बनाई है। इस महोत्सव में धार्मिक चर्चाएं, युवाओं के संवाद मंच, फिल्म स्क्रीनिंग और सामूहिक प्रार्थनाएं शामिल होंगी—सभी आयोजन दलाई लामा की लंबी उम्र और विश्व शांति की कामना के साथ जुड़े हुए हैं।


अपने जन्मदिन पर दलाई लामा ने यह स्पष्ट किया कि वे मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने, धर्मों के बीच सौहार्द बनाए रखने और प्राचीन भारतीय ज्ञान की महत्ता को दुनिया तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति, जो मन की शांति और करुणा को प्राथमिकता देती है, वैश्विक स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला सकती है।