देवउठनी एकादशी पर न करें ये काम, वरना आएंगी परेशानियां
 
                           
                        देवउठनी एकादशी का महत्व
जीवन में परेशानियों से बचें
 Devuthani Ekadashi Niyam, नई दिल्ली: पंचांग के अनुसार, 2025 में देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं, जिससे चातुर्मास का समापन होता है। इस तिथि से विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र दिन कुछ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। यदि आप गलती से भी ये काम करते हैं, तो इससे जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। आइए जानते हैं, देवउठनी एकादशी के दिन किन कामों से बचना चाहिए।
देवउठनी एकादशी के दिन न करें ये काम
- चावल का सेवन न करें: एकादशी के दिन चावल खाना सख्त मना है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से व्यक्ति अगले जन्म में कीड़े की योनि में जन्म लेता है। इसलिए व्रत रखने वाले और परिवार के अन्य सदस्यों को इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते न तोड़ें: देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह होता है। तुलसी माता भगवान विष्णु की प्रिय हैं और इस दिन वह स्वयं भी व्रत रखती हैं। इसलिए इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। भोग के लिए तुलसी के पत्तों को एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए।
- तामसिक भोजन और मदिरापान से बचें: एकादशी का दिन पूर्णत: सात्विक माना जाता है। इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन या किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दिन में न सोएं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के दिन दिन में सोना वर्जित होता है। जो लोग व्रत नहीं भी कर रहे हैं, उन्हें भी इस दिन दिन में नहीं सोना चाहिए। इस शुभ दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन और जागरण करना शुभ माना जाता है।
- वाद-विवाद और अपशब्दों का प्रयोग न करें: देवउठनी एकादशी के पवित्र दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा या वाद-विवाद करने से बचना चाहिए। साथ ही किसी के लिए अपशब्द या कटु वचन नहीं बोलने चाहिए। मन में भी नकारात्मक विचार न लाएं। ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है और जीवन में नकारात्मकता आ सकती है。
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