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नीम करौरी बाबा: भक्ति और चमत्कारों के प्रतीक

नीम करौरी बाबा, जिन्हें 'कंबल वाले बाबा' के नाम से जाना जाता है, का जीवन भक्ति और चमत्कारों से भरा हुआ था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ और वे हनुमान जी के अनन्य भक्त माने जाते हैं। बाबा का बच्चों के प्रति विशेष स्नेह था और उन्होंने कई अद्भुत घटनाएँ घटित कीं, जैसे 'बुलेटप्रूफ कंबल' की कहानी। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। इस लेख में जानें उनके जीवन के बारे में और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं के महत्व के बारे में।
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नीम करौरी बाबा: भक्ति और चमत्कारों के प्रतीक

नीम करौरी बाबा का जीवन

नीम करौरी बाबा, जिन्हें 'कंबल वाले बाबा' के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संतों में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ और वे हनुमान जी के अनन्य भक्त माने जाते हैं। बाबा का जीवन भक्ति, सरलता और चमत्कारों से भरा हुआ था।


बाबा का बच्चों के प्रति विशेष स्नेह था। वे बच्चों से मिलते समय उन्हें चने की रोटी और गुड़ देते थे, जिससे उनकी भूख शांत होती थी। बच्चे भी बाबा के पास आकर उनकी कृपा प्राप्त करते थे, जो उनकी सरलता और दयालुता का प्रतीक था।


नीम करौरी बाबा के जीवन में कई अद्भुत घटनाएँ घटीं। एक प्रसिद्ध घटना में, एक बुजुर्ग दंपत्ति ने बाबा से अपने बेटे की सलामती की प्रार्थना की। बाबा ने उन्हें एक कंबल दिया और कहा कि इसे गंगा में प्रवाहित कर दें। कुछ समय बाद, उनका बेटा युद्ध से सकुशल वापस लौटा और उसने बताया कि जिस रात बाबा उनके घर आए थे, उसी रात वह गोलीबारी में बच गया था। यह घटना 'बुलेटप्रूफ कंबल' के नाम से प्रसिद्ध हुई।


बाबा का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और सेवा में ही ईश्वर का वास होता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।