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भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग: विभिन्न स्थानों पर होने का दावा

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों का महत्व और उनके विभिन्न स्थानों पर होने के दावों की चर्चा इस लेख में की गई है। जानें कि कैसे ये ज्योतिर्लिंग पापों का नाश और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। इसके अलावा, भीमाशंकर, वैद्यनाथ, घृष्णेश्वर और नागेश्वर के स्थानों पर विवाद के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग: विभिन्न स्थानों पर होने का दावा

भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का महत्व

नई दिल्ली: शिव महापुराण में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख किया गया है। ज्योतिर्लिंग को प्रकाश का प्रतीक माना जाता है, जो अद्भुत ऊर्जा का स्थान है। ये ज्योतिर्लिंग देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और इनके दर्शन से पापों का नाश, मानसिक शांति, और मुक्ति की प्राप्ति होती है।


द्वादश ज्योतिर्लिंगों की सूची

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्रयम्बकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वर (तमिलनाडु) और घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र) शामिल हैं। शिव महापुराण की कोटिरुद्र संहिता में इनका विस्तृत वर्णन मिलता है।


ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर विवाद

कुछ ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर विवाद है, जैसे भीमाशंकर, वैद्यनाथ, घृष्णेश्वर और नागेश्वर।


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, जिसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है, पुणे जिले के भीमाशंकर गांव में स्थित है। यह मंदिर पुणे से 110 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर है।


शिवपुराण के अनुसार, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग असम के कामरूप जिले में भी स्थित बताया जाता है। वहीं, नैनीताल में भी इसे लेकर मान्यता है।


वैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर में है और इसे रावणेश्वर महादेव भी कहा जाता है। महाराष्ट्र के परली में भी वैद्यनाथ का दावा किया जाता है।


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है, जबकि राजस्थान में भी इसके होने का दावा किया जाता है।


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्र में है, लेकिन दक्षिण हैदराबाद में भी इसे मान्यता प्राप्त है।