वर्ष 2025 का अंत: आत्मचिंतन और परिवर्तन का समय
नए अवसरों की शुरुआत
हर सुबह का सूरज एक नई संभावना और नई रोशनी लेकर आता है, जबकि सूर्य अस्त होने पर इंसान अपने दिनभर के अनुभवों पर विचार करता है। जब आज सूर्य अस्त होगा, तो वर्ष 2025 का इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान होगा, और हम उस वर्ष की घटनाओं पर आत्मचिंतन करेंगे।
प्रकृति और मानवता का संबंध
2025 में प्रकृति के प्रकोप ने मानव जीवन में जो उथल-पुथल मचाई, क्या इसके लिए केवल प्रकृति ही जिम्मेदार है? पंजाब में आई बाढ़ और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से हुई तबाही पर विचार करने का समय है कि इंसान की भूमिका क्या थी।
आत्मचिंतन की आवश्यकता
देश-विदेश में 2025 में हुई आतंकवादी घटनाओं के कारण हुए मानव हानि पर भी विचार करने की आवश्यकता है। जब चित्र के माध्यम से चरित्र को पूजा जाता है, तब सीमित रह जाने से नैतिकता का पतन होता है। इस पर भी आत्मचिंतन करना आवश्यक है।
परिवर्तन का नियम
परिवर्तन प्रकृति का नियम है, और सुबह तथा रात हमें इसी नियम की याद दिलाते हैं। जीवन में हर पल परिवर्तन आता है, जो सुखद या दुखद हो सकता है। इंसान का जीवन तब तक गतिशील रहता है जब तक मृत्यु नहीं आती।
भविष्य के लिए सीख
2025 में आए उतार-चढ़ाव ने हमें और परिपक्व बनाया है, जिससे भविष्य में निर्णय लेने में मदद मिलेगी। 31 दिसंबर, 2025 को सूर्य अस्त होने के साथ ही इस सदी के 25वें वर्ष का अंत होगा। यह वर्ष हमें यह सिखाता है कि जीवन एक सीधी रेखा नहीं, बल्कि एक बहती नदी है।
कृतज्ञता और निरंतरता
जब हम पिछले वर्ष को विदा करते हैं, तो कृतज्ञता का भाव जागता है। जो मिला, उसके लिए धन्यवाद और जो नहीं मिला, उसके लिए भी आभार। यह कृतज्ञता हमारे मन को शांत करती है और दृष्टि को स्पष्ट बनाती है। इस प्रकार, वर्ष का अंत न तो अंत है, न शुरुआत, बल्कि एक निरंतर यात्रा का पड़ाव है।
मुख्य संपादक का संदेश
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक
