विवाह पंचमी: जानें इस दिन की पूजा विधि और सावधानियां
विवाह पंचमी का महत्व
इस वर्ष विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर को मनाया जा रहा है। यह त्योहार भगवान राम और माता सीता के विवाह की सालगिरह का प्रतीक है। हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। भक्तजन इस दिन भगवान राम और देवी सीता की पूजा करते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से भक्तों को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
विवाह पंचमी पर पूजा के लाभ
इस दिन विवाहित दंपत्ति भगवान राम और सीता की पूजा करके अपने दांपत्य जीवन में सौहार्द, शांति और स्थिरता की कामना करते हैं। अविवाहित युवाओं के लिए यह तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत या पूजा करने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
तामसिक भोजन से बचें: इस दिन लहसुन, प्याज, तामसिक भोजन और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान नाराज हो सकते हैं और मन अशांत रहता है।
पूजा में जल्दबाजी न करें: विवाह पंचमी के दिन मां सीता और प्रभु श्री राम के विवाह की याद में मन को शांत रखकर पूजा करना सर्वोत्तम होता है।
व्रत और पूजा के नियमों का पालन करें: व्रत रखने वाले साधक को बार-बार जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। बिना आवश्यकता कुछ खाना या पूजा के दौरान इधर-उधर नहीं जाना चाहिए।
किसी का अनादर न करें: इस दिन प्रेम और संयम का पालन करना चाहिए। कटु शब्दों या क्रोध का व्यवहार नहीं करना चाहिए, अन्यथा घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
बाल और नाखून न काटें: इस दिन किसी भी व्यक्ति को बाल और नाखून काटना उचित नहीं होता है। ऐसा करने से घर में शुभता नहीं आती और दिन की सात्विक ऊर्जा बाधित होती है।
