शुक्र प्रदोष व्रत: महत्व और पूजा विधि
शुक्र प्रदोष व्रत का आयोजन आज किया जा रहा है, जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जानें इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और इसके साथ जुड़े उपाय। इस व्रत के दौरान विशेष योग भी बन रहे हैं, जो इसे और भी फलदायी बनाते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इस दिन की पूजा से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।
Sep 19, 2025, 11:28 IST
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शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
आज शुक्र प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। यह व्रत शुक्रवार को पड़ने के कारण शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से प्रदोष काल में षोडशोपचार विधि से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए, जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा विधि।
शुक्र प्रदोष व्रत के बारे में जानकारी
शुक्र प्रदोष व्रत आश्विन शुक्ल त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पितृपक्ष के कारण अल्पायु पितरों और मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है। साथ ही, इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का भी शुभ अवसर होता है। हर महीने दो बार त्रयोदशी तिथि आती है, जिस दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रिय है और इस दिन व्रत रखने से माता पार्वती और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। अश्विन माह की शुरुआत हो चुकी है और इस माह का प्रदोष विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन मास शिवरात्रि भी है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। पंडितों के अनुसार, विधिपूर्वक प्रदोष व्रत करने से महादेव अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देते हैं और उन्हें सुख-सौभाग्य प्रदान करते हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 18 सितंबर को रात 11:24 बजे से शुरू होगा और 19 सितंबर को रात 11:36 बजे समाप्त होगा। इस प्रकार, प्रदोष पूजा का मुहूर्त 19 सितंबर को है।
सिद्ध योग में शुक्र प्रदोष व्रत
इस बार शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सिद्ध योग और साध्य योग का संयोग बन रहा है। सिद्ध योग सुबह से लेकर रात 8:41 बजे तक रहेगा, इसके बाद साध्य योग अगले दिन तक रहेगा। प्रदोष के दिन अश्लेषा नक्षत्र प्रात: 07:05 ए एम तक रहेगा, उसके बाद मघा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
शुक्र प्रदोष व्रत सभी प्रकार के दोषों को दूर करने वाला माना जाता है। इस व्रत में शिव पूजा करने से व्यक्ति के कष्ट मिटते हैं और शिव कृपा से आरोग्य, धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार, त्रयोदशी श्राद्ध पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई थी या जिनकी तिथि अज्ञात है। इस श्राद्ध में मुख्य रूप से उन अल्पायु पितरों और मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी आयु दो वर्ष से अधिक हो।
शुक्र प्रदोष की पूजा के उपाय
पंडितों के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत का पुण्यफल प्राप्त करने के लिए इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। महादेव के मंत्रों के साथ शुक्र देवता के मंत्रों का जाप करने से सुख-सौभाग्य और वैभव में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा में सवा किलो अक्षत और गाय का दूध अर्पित करना चाहिए। इस उपाय से व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है। यदि कोई अच्छी सेहत की कामना कर रहा है, तो उसे प्रदोष काल में महादेव को सूखा नारियल अर्पित करना चाहिए।
शुक्र प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
शुक्र प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, एक धनिक पुत्र ने अपनी पत्नी को विदा कराकर लाने के बाद अनेक कष्टों का सामना किया। ब्राह्मण पुत्र की सलाह पर उसने शुक्र प्रदोष व्रत किया, जिससे उसकी पत्नी वापस ससुराल गई और सभी कष्ट दूर हो गए। प्राचीन काल में तीन मित्रों में से एक धनिक पुत्र ने बिना सोचे-समझे अपनी पत्नी को विदा कराया, जिसके परिणामस्वरूप उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। अंततः, ब्राह्मण मित्र की सलाह पर उसने अपनी पत्नी को वापस ससुराल भेजा और शुक्र प्रदोष व्रत करने से उसकी सभी समस्याएं हल हो गईं। इस कथा के अनुसार, शुक्र प्रदोष का व्रत विशेष फलदायी होता है और इससे सुख, सौभाग्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।