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सर्वार्थ सिद्धि योग 2025: विशेष पूजा विधि और महत्व

11 सितंबर 2025 को सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो हर कार्य में सफलता दिलाने में सहायक है। इस दिन भगवान विष्णु और मां सरस्वती की पूजा का महत्व है। जानें इस दिन की पूजा विधि और इसके लाभ।
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सर्वार्थ सिद्धि योग 2025: विशेष पूजा विधि और महत्व

सर्वार्थ सिद्धि योग का महत्व

Sarvartha Siddhi Yoga 2025: 11 सितंबर 2025, गुरुवार को आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। यह योग हर कार्य में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है। इस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा मेष राशि में स्थित रहेगा। दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:53 से 12:42 तक रहेगा, जबकि राहुकाल 1:51 से 3:24 तक होगा। इस दिन भगवान विष्णु और मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस तिथि का महत्व और व्रत की विधि।


विष्णु और सरस्वती की पूजा का महत्व

अग्नि पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी। इस दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पीले वस्त्र पहनकर और पीले फल-फूल दान करने से विशेष लाभ होता है। भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही, मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान में वृद्धि होती है। गरीबों को अन्न और धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से आरंभ कर 16 गुरुवार तक रखा जा सकता है।


गुरुवार व्रत की पूजा विधि

व्रत के लिए ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाएं। दीपक जलाएं, विष्णु और बृहस्पति भगवान की कथा सुनें, फिर आरती करें। आरती के बाद आचमन करें। इस दिन पीले खाद्य पदार्थों से परहेज करें। केले के पत्ते की पूजा भी आवश्यक है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का वास माना जाता है।


सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग

सर्वार्थ सिद्धि योग ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। यह योग विशेष नक्षत्रों के संयोग से बनता है और इसमें किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। 11 सितंबर को यह योग सुबह 6:04 से दोपहर 1:58 तक रहेगा। इस दौरान पूजा, दान और नए कार्यों की शुरुआत करने से विशेष लाभ होगा।