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सूर्यग्रहण के दौरान क्या न करें: सावधानियों की सूची

21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होने वाले सूर्यग्रहण के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। इस लेख में जानें कि सूर्य को नग्न आंखों से न देखना, भोजन न पकाना, और यात्रा से परहेज करना क्यों जरूरी है। साथ ही, तुलसी के पत्तों का उपयोग और मंत्र जाप के महत्व पर भी चर्चा की गई है। जानें और सुरक्षित रहें!
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सूर्यग्रहण के दौरान क्या न करें: सावधानियों की सूची

सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण

साल का दूसरा सूर्यग्रहण 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कुछ सावधानियों का पालन करने से विशेष लाभ मिल सकता है।


सूर्य को नग्न आंखों से न देखें

सूर्य ग्रहण के दौरान बिना सुरक्षा के सूर्य को देखना आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है। हमेशा सोलर ग्लासेस या विशेष फिल्टर का उपयोग करना चाहिए।


भोजन न पकाएं और न खाएं

ग्रहण के समय भोजन को दूषित माना जाता है, क्योंकि इसमें नकारात्मक ऊर्जा समाहित हो सकती है। इस दौरान तुलसी के पत्ते खाने-पीने की चीजों में डालकर रखना चाहिए।


सोना नहीं चाहिए

ग्रहण काल में सोना शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है। गर्भवती महिलाओं को इस समय सोने से विशेष रूप से बचना चाहिए।


बाल और नाखून न काटें

इस समय शरीर से जुड़ी चीजों को काटना अशुभ माना जाता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


यात्रा से परहेज करें

ग्रहण के समय यात्रा करना जोखिम भरा माना जाता है। विशेष रूप से लंबी या महत्वपूर्ण यात्राओं से बचना चाहिए।


नुकीली चीजों का प्रयोग न करें

गर्भवती महिलाओं के लिए चाकू, कैंची, और सुई-धागे जैसी चीजों का उपयोग वर्जित है, क्योंकि इससे गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।


मंदिर में पूजा-पाठ न करें

ग्रहण काल में मंदिर में पूजा करना वर्जित होता है, लेकिन आप मंत्र जाप कर सकते हैं।


ग्रहण के बाद क्या करें

  • स्नान करें और घर की सफाई करें।
  • जरूरतमंदों को दान दें।
  • भगवान की मूर्तियों को स्नान कराकर पूजा करें।


तुलसी का विशेष उपयोग

ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इसे दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है।


मंत्र-जप और ध्यान का महत्व

ग्रहण काल में पूजा-पाठ की परंपरा नहीं है, लेकिन भगवान विष्णु का ध्यान और उनके मंत्रों का जप करना विशेष फलदायी होता है।