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स्वर्णगिरी वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर: एक दिव्य स्थल की कहानी

स्वर्णगिरी वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर, तेलंगाना के भुवनगिरी में स्थित एक भव्य धार्मिक स्थल है। इसकी अद्भुत वास्तुकला और चमत्कारिक निर्माण कथा इसे विशेष बनाती है। इस मंदिर में भगवान श्री वेंकटेश्वर की 12 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो तेलंगाना की सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है। यहां की भव्यता और आध्यात्मिक वातावरण हर श्रद्धालु को आकर्षित करता है। जानें इस मंदिर के दर्शन का समय, यात्रा की जानकारी और यहां आने का सबसे अच्छा समय।
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स्वर्णगिरी वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर: एक दिव्य स्थल की कहानी

स्वर्णगिरी वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर का परिचय

स्वर्णगिरी वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर, जिसे यदाद्री तिरुमला देवस्थानम के नाम से भी जाना जाता है, तेलंगाना के भुवनगिरी में मानेपल्ली हिल्स पर स्थित है। यह मंदिर हैदराबाद से लगभग 47.3 किलोमीटर की दूरी पर है और इसे 22 एकड़ भूमि पर बनाया गया है। जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है, उसे स्वर्णगिरी कहा जाता है। इस मंदिर की वास्तुकला में विजयनगर, पल्लव, चोल और चालुक्य साम्राज्यों के तत्वों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।


मंदिर की संरचना

इस मंदिर में चारों दिशाओं में विशाल राजगोपुरम हैं, और बड़े मंडपों के साथ-साथ गर्भगृह के ऊपर 5 मंजिला विमान गोपुरम भी है। गर्भगृह में भगवान श्री वेंकटेश्वर की 12 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जो तेलंगाना की सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है। इस मंदिर की भव्यता देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।


मंदिर की निर्माण कथा

इस मंदिर का निर्माण एक चमत्कारिक घटना से प्रेरित है। प्रसिद्ध उद्योगपति श्रीमन मानेपल्ली रामाराव की पत्नी श्रीमति विजयलक्ष्मी एक गंभीर दुर्घटना के बाद कोमा में चली गईं। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को गंभीर मान लिया था, लेकिन तिरुपति के पवित्र जल के सेवन के बाद उनकी जान बच गई। इस चमत्कार के बाद परिवार ने भगवान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी भूमि पर एक भव्य मंदिर बनाने का निर्णय लिया। इस मंदिर का निर्माण लगभग 7 वर्षों में पूरा हुआ।


मंदिर की भव्यता

स्वर्णगिरी वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर को अत्यंत भव्यता से बनाया गया है। चारों ओर चार विशाल राजगोपुरम हैं, जो अंदर के विशान मंडपों की ओर ले जाते हैं। गर्भगृह के ऊपर 5 मंजिला विमान गोपुरम है, जो दूर से ही मंदिर की सुंदरता को बढ़ाता है। गर्भगृह में भगवान श्री वेंकटेश्वर की 12 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो तेलंगाना की सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है।


इस मंदिर में 120 फुट ऊंचा हनुमान मंडप है, और एक ही पत्थर से बनी 40 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा भी स्थापित है। इसके अलावा, यहां भारत की दूसरी सबसे बड़ी कांसे की घंटी है, जिसका वजन लगभग 1.5 टन है। मंदिर का जला नारायण स्वामी सन्निधि शाम की रोशनी में बेहद आकर्षक लगता है।


मंदिर दर्शन और आरती का समय

मंदिर का खुलने का समय सुबह 5:00 बजे है।


भूपाली और अभिषेक का समय सुबह 05:00 बजे से 06:30 बजे तक है।


मंदिर का ब्रेक टाइम दोपहर 12:30 बजे से 01:30 बजे तक है।


शेजआरती (रात की अंतिम आरती) रात 09:00 बजे होती है।


आरती, नैवेद्य और महाप्रसाद वितरण दोपहर 01:30 बजे से 2:30 बजे तक होता है।


कब जाएं

यह स्थान दिव्य और आध्यात्मिक वातावरण से भरा हुआ है। आप साल भर कभी भी यहां आ सकते हैं, लेकिन बारिश और सर्दियों का मौसम घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। मॉनसून में हल्की बारिश होती है, जिससे आसपास की हरियाली और भी खूबसूरत लगती है। बारिश के बाद का माहौल स्वर्ग जैसा होता है।


कैसे पहुंचें

मंदिर के निकटतम हैदराबाद एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 76 किमी दूर है। आप टैक्सी लेकर आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं।


स्वर्णगिरी मंदिर के पास भोंगिर जंक्शन रेलवे स्टेशन है। आप सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से भोंगिर पहुंच सकते हैं, जो मंदिर से लगभग 44 किमी दूर है। यहां से आप टैक्सी या कैब से मंदिर पहुंच सकते हैं।


आप सड़क मार्ग से भी मंदिर पहुंच सकते हैं। हैदराबाद से कार या स्थानीय बस से भुवनगिरी पहुंच सकते हैं, और यहां से मंदिर तक सीधा रास्ता है।