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स्वामी रामभद्राचार्य की विवादास्पद टिप्पणियाँ: महिलाओं की स्थिति और शिक्षा पर विचार

मेरठ के विक्टोरिया पार्क में चल रही रामकथा के दौरान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने महिलाओं की स्थिति और शिक्षा पर विवादास्पद टिप्पणियाँ की हैं। उनके विचारों ने समाज में नाराज़गी और चर्चा का माहौल पैदा किया है। उन्होंने महिलाओं के प्रति 'उपयोग और परित्याग' की मानसिकता की आलोचना की और माता-पिता से बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने की अपील की। जानें उनके विचार और इस पर समाज की प्रतिक्रिया।
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रामकथा में स्वामी रामभद्राचार्य का बयान

मेरठ के विक्टोरिया पार्क में चल रही रामकथा के दौरान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कुछ ऐसे विचार व्यक्त किए हैं जो चर्चा का विषय बन गए हैं। उनके बयान ने न केवल कुछ लोगों में नाराज़गी पैदा की, बल्कि श्रोताओं के बीच गहरी बहस का कारण भी बना।


महिलाओं की स्थिति पर उनके विचारों ने विवाद को जन्म दिया। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि कुछ परंपराओं में महिलाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक महिला से 25 बच्चों को जन्म देने के बाद, जब वह उम्रदराज हो जाती है, तो उसे तलाक देकर छोड़ दिया जाता है। उन्होंने इसे "उपयोग और परित्याग" की मानसिकता से जोड़ा और कहा कि यह भारतीय परंपरा के खिलाफ है।


इसके अलावा, उन्होंने माता-पिता से बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने की अपील की। रामभद्राचार्य ने कहा कि नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए उन्हें ऐसे विद्यालयों में भेजना चाहिए जो भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दें। उन्होंने कॉन्वेंट स्कूलों और मदरसों में बच्चों को भेजने से बचने की सलाह दी।


स्वामी रामभद्राचार्य ने इससे पहले भी विवादित टिप्पणियाँ की हैं। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तुलना पाकिस्तान से करते हुए कहा था कि यहां रहना कई बार "मिनी पाकिस्तान" का अनुभव कराता है। उनके अनुसार, इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय दबाव महसूस करता है और पलायन की स्थिति उत्पन्न हो रही है।