23 वर्षीय गेंदबाज: टीम इंडिया का नया सितारा

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला: भारतीय क्रिकेट में समय-समय पर नए चेहरे उभरते हैं, जो अपने प्रदर्शन से 'भविष्य का सितारा' बन जाते हैं। इस बार चर्चा किसी रिकॉर्ड या विशेष प्रदर्शन की नहीं, बल्कि एक खिलाड़ी के चारों ओर बनी हाइप की है।
सिर्फ 23 साल की उम्र में एक तेज गेंदबाज को 'भारत का करंट GOAT' कहा जा रहा है। फैंस का कहना है कि ग्लेन मैकग्रा और डेल स्टेन भी उसके सामने नतमस्तक हैं। चयनकर्ताओं ने भी उसका नाम गंभीरता से लिया है। यह सब क्रिकेट जगत को हैरान कर रहा है कि आखिर यह खिलाड़ी कौन है जिसने बुमराह, शमी और सिराज जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया है?
गंभीर की नज़र और 'GOAT प्रोजेक्ट' की शुरुआत
हर खिलाड़ी के करियर में एक ऐसा मोड़ आता है जब किसी का भरोसा उसकी तकदीर बदल देता है। हर्षित राणा के लिए यह भरोसा गौतम गंभीर ने दिया। आईपीएल 2024 में केकेआर की ओर से खेलते हुए गंभीर ने राणा को लगातार मौके दिए और उन पर पूरा विश्वास जताया।
गंभीर का यह भरोसा राणा के आत्मविश्वास को नई दिशा देने में मददगार साबित हुआ। कुछ ही मैचों में उन्होंने अपनी गेंदबाजी से सबका ध्यान खींचा और सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय बन गए। गंभीर की कोचिंग ने राणा को वह पहचान दिलाई, जिसके लिए कई खिलाड़ियों को सालों तक इंतजार करना पड़ता है।
फिटनेस पर सवाल, पर चयन पक्का
हर्षित राणा का टीम इंडिया में चयन कई लोगों के लिए चौंकाने वाला रहा। हाल ही में रणजी ट्रॉफी के दौरान वह पूरी तरह फिट नहीं थे और कुछ मैचों से बाहर रहे थे। आमतौर पर ऐसे खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम की रेस में नहीं होते, लेकिन राणा के मामले में कहानी अलग रही।
बिना किसी लंबे डोमेस्टिक सीज़न या बड़े प्रदर्शन के, उनका नाम सीधे ऑस्ट्रेलिया दौरे की टीम में शामिल कर लिया गया। क्रिकेट फैंस का कहना है कि 'जब सपोर्ट सिस्टम मजबूत हो, तो फिटनेस की ज़रूरत किसे है?' इस पूरे प्रकरण ने साफ कर दिया कि अब भारतीय टीम में जगह सिर्फ प्रदर्शन से नहीं, बल्कि सही कनेक्शन और भरोसे से भी बनती है।
बुमराह, शमी और सिराज के बीच 'नया युग' शुरू
भारत के पास इस समय जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज जैसे भरोसेमंद तेज गेंदबाज हैं। तीनों ने पिछले कुछ सालों में हर फॉर्मेट में भारत को कई जीत दिलाई हैं। खासकर मोहम्मद शमी, जिन्होंने हाल ही में घरेलू क्रिकेट खेलकर अपनी फिटनेस और फॉर्म साबित की, फिर भी उन्हें टीम में मौका नहीं मिला।
इसके बजाय उनकी जगह हर्षित राणा को मिली, जिन्होंने अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित नहीं किया है। टीम मैनेजमेंट 'युवा योजना' की बात करता है, लेकिन सवाल यही है — क्या अब अनुभव और लगातार प्रदर्शन की कीमत कम हो चुकी है? अब लगता है कि आईपीएल के कुछ अच्छे ओवर ही चयन की नई एंट्री टिकट बन गए हैं।
गंभीर का भरोसा बनाम बाकी खिलाड़ियों की मेहनत
गौतम गंभीर अपने खिलाड़ियों पर अटूट विश्वास रखने के लिए जाने जाते हैं, और हर्षित राणा इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैं। गंभीर की कोचिंग में राणा को आईपीएल में लगातार मौके मिले और वहीं से उनके करियर को नई दिशा मिली। यही भरोसा अब उन्हें टीम इंडिया तक ले आया है। लेकिन यही भरोसा अब क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय भी बन गया है, क्योंकि कई ऐसे तेज गेंदबाज हैं जो डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, फिर भी उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
यह सवाल अब उठ रहा है कि क्या टैलेंट और प्रदर्शन के बजाय अब चयन 'किस पर भरोसा है' के आधार पर तय होने लगा है? गंभीर का विश्वास राणा के लिए एक सीढ़ी साबित हुआ, लेकिन बाकी खिलाड़ियों के लिए यह संकेत भी छोड़ गया कि अब टीम में जगह मैदान पर खेलकर नहीं, बल्कि मैनेजमेंट का विश्वास जीतकर बनाई जाती है।