BCCI पर नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल का प्रभाव: जानें क्या बदलने वाला है

BCCI और नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल
BCCI-National Sports Governance Bill: 23 जुलाई भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण दिन साबित होने वाला है। इस बार ध्यान किसी स्टेडियम पर नहीं, बल्कि संसद पर केंद्रित है। बुधवार को सरकार 'नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल' पेश करने जा रही है, जिसका सबसे बड़ा असर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर पड़ेगा। भारत में सभी खेल महासंघ (NSF) देश के कानूनों का पालन करते हैं, लेकिन बीसीसीआई हमेशा से इससे बाहर रहा है, खुद को एक स्वायत्त संस्था बताकर किनारे कर लिया था।
सूत्रों के अनुसार, नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल के कानून बनने के बाद बीसीसीआई को भी अन्य खेल महासंघों की तरह भारतीय कानूनों का पालन करना होगा। इस बिल के जरिए सरकार ने बीसीसीआई को एक तरह से चुनौती दी है। अब यह देखना होगा कि बीसीसीआई इसका सामना कैसे करता है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि सरकार का नियंत्रण सभी खेल महासंघों पर नहीं होगा, बल्कि वह केवल व्यवस्थापन की भूमिका निभाएगी।
बीसीसीआई और सरकार के बीच विवाद
बीसीसीआई और सरकार के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। दोनों के बीच नियमों, खेल और पदाधिकारियों पर कई बार मतभेद सामने आ चुके हैं। यह विवाद तब और बढ़ गया जब 2019 में सरकार की नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने क्रिकेट प्रतियोगिता में प्रवेश किया। बीसीसीआई ने इस पर आपत्ति जताई और खिलाड़ियों का सैंपल देने से मना कर दिया। बीसीसीआई ने बार-बार कहा कि वह कोई खेल महासंघ नहीं है और न ही उसे भारत सरकार या खेल मंत्रालय से कोई फंड मिलता है।
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल का उद्देश्य
यह बिल खेल संघों में सुधार लाने के लिए पेश किया जा रहा है। खेल मंत्रालय का दावा है कि इसके बाद खेल संघों में समय पर चुनाव कराना, प्रबंधन में सुधार और खिलाड़ियों के लिए बेहतर उपाय किए जाएंगे। बिल में राष्ट्रीय खेल पंचाट (ट्रिब्यूनल) का गठन करने का प्रावधान है, जो खेल से जुड़े विवादों का निपटारा करेगा। इसके निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन
बिल के अनुसार, राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। इस बोर्ड में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होंगे, जिनकी नियुक्ति सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर की जाएगी। इस कमेटी के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव या खेल सचिव होंगे। इसके अलावा, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के महानिदेशक और दो अनुभवी खेल प्रशासक भी शामिल होंगे। यह बोर्ड खेल महासंघों की मान्यता और फंडिंग का काम करेगा।
रोजर बिन्नी को मिल सकता है लाभ
बिल में खेल संघ के पदाधिकारियों की आयु से संबंधित एक नियम है, जिसके तहत अधिकतम आयु 70 साल से बढ़ाकर 75 साल की जा सकती है। यदि किसी खेल की अंतरराष्ट्रीय संघ को कोई आपत्ति नहीं है, तो इसका लाभ वर्तमान बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी को होगा। हाल ही में उनकी उम्र 70 साल हुई है, और इस बिल के कानून बनने के बाद वह पांच साल और अध्यक्ष रह सकेंगे।
2028 ओलंपिक में क्रिकेट की भागीदारी
क्रिकेट अब ओलंपिक में शामिल हो गया है। 2028 में लॉस एंजेलेस ओलंपिक खेलों में क्रिकेट भाग लेगा। इस संदर्भ में, भारत सरकार ने खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल लाने का निर्णय लिया है। सरकार का दावा है कि इस बिल के बाद खेल संघों की मनमानी और विसंगतियों पर रोक लगेगी।
14 साल पुरानी कहानी
यह बिल पहली बार संसद में पेश नहीं हो रहा है, बल्कि इसकी कहानी 14 साल पुरानी है। 2011 में राज्यसभा सांसद अजय माकन ने इस खेल बिल को पेश किया था, लेकिन खेल महासंघों और सदस्यों के कारण यह पास नहीं हो पाया था। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख ने कहा कि इस बिल को विस्तार से बनाने के लिए माकन के अनुभव और पुराने मसौदे का सहारा लिया गया है।
मान्यता और फंडिंग की चुनौतियाँ
हाल ही में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन होगा, जो मान्यता और फंडिंग देने का काम करेगा। लेकिन इसके लिए संघों को अनुशासन से जुड़ी शर्तों का पालन करना होगा। इसके अलावा, खेल महासंघ को वित्तीय और नैतिक मानकों का पालन करना होगा।