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क्या चयनकर्ताओं ने अनुभवी चेतेश्वर पुजारा को नजरअंदाज किया? जानें पूरी कहानी

भारतीय टेस्ट टीम इंग्लैंड दौरे पर जा रही है, जिसमें अनुभवी खिलाड़ियों की कमी है। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे सितारों के संन्यास के बाद, शुभमन गिल को कप्तान बनाया गया है। इस स्थिति में, क्या चयनकर्ताओं ने अनुभवी चेतेश्वर पुजारा को नजरअंदाज किया? पुजारा ने कहा है कि वे टीम में वापसी के लिए तैयार हैं। जानें उनके अनुभव और ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन के बारे में।
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क्या चयनकर्ताओं ने अनुभवी चेतेश्वर पुजारा को नजरअंदाज किया? जानें पूरी कहानी

भारतीय टेस्ट टीम की नई चुनौतियाँ

इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली भारतीय टेस्ट टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की कमी है, जिसमें विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन जैसे सितारों का संन्यास शामिल है। इसके अलावा, मोहम्मद शमी की फिटनेस समस्याओं के कारण उनकी अनुपस्थिति ने टीम की स्थिति को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। शुभमन गिल को कप्तान बनाया गया है, जबकि ऋषभ पंत उप-कप्तान के रूप में कार्य करेंगे। अनुभवी बल्लेबाजों की कमी से भारत की बल्लेबाजी में कमजोरी देखी जा रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या चयनकर्ता चेतेश्वर पुजारा या अजिंक्य रहाणे जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को अस्थायी रूप से टीम में शामिल कर सकते थे?


पुजारा का अनुभव और चयन प्रक्रिया

चेतेश्वर पुजारा ने 103 टेस्ट मैच खेले हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या मुख्य कोच गौतम गंभीर ने टीम चयन से पहले उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उन्हें मौका मिलता है, तो वे भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि जब तक कोई खिलाड़ी फिट है और घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, तब तक उसे खेलने का अवसर मिलना चाहिए।


भारत की टेस्ट टीम की घोषणा से पहले पुजारा की यह प्रतिक्रिया आई, लेकिन चयनकर्ताओं ने अनुभव की बजाय युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया। साई सुदर्शन को पहली बार टेस्ट टीम में शामिल किया गया है, जबकि करुण नायर की टीम में आठ साल बाद वापसी हुई है। अजीत अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति ने पुजारा और रहाणे जैसे सीनियर खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया।


पुजारा का ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन

पुजारा ने कहा कि यदि उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेलने का मौका मिलता, तो वे टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते थे। उनके ऑस्ट्रेलिया में अच्छे रिकॉर्ड को देखते हुए, उनका मानना है कि वे वहां बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। 2018 और 2019 में, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भारत की ऐतिहासिक जीतों में क्रमशः 521 और 271 रन बनाए थे। हालांकि, इंग्लैंड में उनका प्रदर्शन औसत रहा है, जहां उन्होंने 14 टेस्ट में 31 की औसत से 806 रन बनाए हैं, जिसमें एक शतक भी शामिल है।