इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर ह्यू मॉरिस का निधन, 28,000 से अधिक रन का रिकॉर्ड
ह्यू मॉरिस का निधन
इंग्लैंड के पूर्व ओपनर ह्यू मॉरिस का निधन: इंग्लैंड क्रिकेट से एक प्रतिष्ठित नाम हमेशा के लिए अलविदा हो गया है। 62 वर्षीय ह्यू मॉरिस, जो कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गए, ग्लैमरगन क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक थे।
मॉरिस को मैदान पर उनकी धैर्य, तकनीक और निरंतरता के लिए जाना जाता था। उन्होंने न केवल एक उत्कृष्ट बल्लेबाज के रूप में पहचान बनाई, बल्कि क्रिकेट प्रशासन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका निधन इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
संक्षिप्त लेकिन यादगार अंतरराष्ट्रीय करियर

ह्यू मॉरिस ने 1991 में इंग्लैंड के लिए तीन अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया। उनका आखिरी टेस्ट ओवल में खेला गया था, जहां इंग्लैंड ने सीरीज को 2-2 से ड्रॉ कराया।
हालांकि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर छोटा था, लेकिन उन्होंने उस समय की मजबूत वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ अपनी उपयोगिता साबित की। इसके अलावा, उन्होंने इंग्लैंड ए टीम के साथ कई कठिन दौरों पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ग्लैमरगन के लिए 17 साल की निष्ठा
ह्यू मॉरिस की पहचान ग्लैमरगन काउंटी क्रिकेट क्लब के साथ उनके लंबे जुड़ाव से बनी। 1963 में कार्डिफ में जन्मे मॉरिस ने 17 साल की उम्र में क्लब के लिए डेब्यू किया और लगातार 17 सीज़न तक टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे।
1997 में ग्लैमरगन को काउंटी चैम्पियनशिप जिताने के साथ उन्होंने शानदार तरीके से संन्यास लिया। उनके द्वारा बनाए गए लगभग 20,000 रन आज भी उनकी निरंतरता का प्रमाण हैं।
कप्तान के रूप में ऐतिहासिक सफलता
मॉरिस ने न केवल खिलाड़ी के रूप में, बल्कि कप्तान के रूप में भी ग्लैमरगन को नई पहचान दी। 1993 में उनकी कप्तानी में क्लब ने संडे लीग का खिताब जीता, जो 1969 के बाद पहली बड़ी ट्रॉफी थी।
यह जीत क्लब के आत्मविश्वास और भविष्य की नींव साबित हुई। कप्तानी छोड़ने के बाद भी, वह टीम के मार्गदर्शक बने रहे।
प्रशासन और कैंसर से जंग
रिटायरमेंट के बाद, ह्यू मॉरिस ने ECB में कई वरिष्ठ भूमिकाएं निभाईं और इंग्लैंड क्रिकेट के सफल दौर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कैंसर से जूझने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी।
कैंसर जागरूकता के लिए उनके कार्य उतने ही प्रेरणादायक थे जितना उनका क्रिकेट करियर। 2013 में ग्लैमरगन के चीफ एग्जीक्यूटिव के रूप में लौटकर, उन्होंने क्लब को आर्थिक संकट से बाहर निकाला।
