ऋषभ पंत की बहादुरी: चोट के बावजूद मैदान में वापसी की तैयारी
ऋषभ पंत का जज्बा
भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत इस समय मैदान से दूर हैं, लेकिन उनकी हिम्मत और आत्मविश्वास ने क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में एक खास जगह बना ली है। इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में खेले गए चौथे टेस्ट में चोटिल होने के बावजूद, पंत ने जिस साहस के साथ खेलना जारी रखा, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक बन गया है। चोट के बावजूद, पंत ने टीम के प्रति जो समर्पण दिखाया, वह आज के समय में दुर्लभ है।28 जुलाई को, पंत ने सोशल मीडिया पर अपने स्वास्थ्य के बारे में पहला अपडेट साझा किया। उन्होंने कुछ तस्वीरों के साथ एक भावुक संदेश में लिखा कि उन्हें देशभर से जो शुभकामनाएं मिल रही हैं, वे उनके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे ही उनके पैर की उंगली का फ्रैक्चर ठीक होगा, वह रिहैबिलिटेशन शुरू करेंगे और जल्द ही अपनी टीम के साथ मैदान पर लौटने के लिए तैयार हैं।
पंत ने कहा कि देश के लिए खेलना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है और वह उसी ऊर्जा के साथ वापसी के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे धैर्य, अनुशासन और डॉक्टरों के निर्देशों का पालन करते हुए अपनी रिकवरी प्रक्रिया में पूरी गंभीरता से लगे हुए हैं।
मैनचेस्टर टेस्ट के पहले दिन पंत के पैर की उंगली में फ्रैक्चर हो गया था, लेकिन इसके बावजूद दूसरे दिन वह बल्लेबाजी के लिए उतरे। हालांकि उन्होंने केवल 15 रन बनाए, लेकिन उनके साहसी निर्णय ने टीम को 358 रनों के मजबूत स्कोर तक पहुंचाने में मदद की। इसके बाद, उन्होंने विकेटकीपिंग नहीं की, लेकिन मैदान पर उनकी उपस्थिति ने साथी खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
टीम इंडिया के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने चौथे टेस्ट के ड्रेसिंग रूम में पंत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि टीम का प्रदर्शन केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि पंत जैसे खिलाड़ियों के समर्पण से बनता है। गंभीर के अनुसार, पंत का योगदान न केवल वर्तमान खिलाड़ियों को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।
बीसीसीआई द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में, गंभीर ने पंत को टीम की "नींव" बताया और कहा कि यह एक विरासत है, जिसे भविष्य में याद रखा जाएगा। यह केवल एक रन या पारी की बात नहीं है, बल्कि उस भावना की है जो टीम को एकजुट रखती है।
इस बीच, क्रिकेट की दुनिया में यह बहस भी शुरू हो गई है कि क्या चोटिल खिलाड़ियों को टीम का हिस्सा बनाए रखना सही है। गंभीर इसे समर्थन दे रहे हैं, जबकि इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने इसे अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि इससे भ्रम और तकनीकी समस्याएं बढ़ेंगी।