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एशेज सीरीज में पिच विवाद: क्या ऑस्ट्रेलिया के लिए अलग मापदंड हैं?

एशेज सीरीज के चौथे टेस्ट में मेलबर्न की पिच ने सवाल उठाए हैं। मैच महज दो दिन में समाप्त हो गया, जिससे पिच की गुणवत्ता पर चर्चा शुरू हुई। क्या ऑस्ट्रेलिया के लिए पिच के मानदंड अलग हैं? इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर ने इस पर अपनी राय रखी है। जानें इस लेख में पूरी जानकारी।
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एशेज सीरीज में पिच विवाद: क्या ऑस्ट्रेलिया के लिए अलग मापदंड हैं?

मेलबर्न में एशेज का चौथा टेस्ट


नई दिल्ली: इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही एशेज सीरीज का चौथा टेस्ट मेलबर्न में आयोजित हुआ। यह मैच भले ही पांच दिनों का था, लेकिन यह महज ढाई सेशन में समाप्त हो गया। यदि यह मैच भारत में होता, तो बीसीसीआई पर पिच को लेकर सवाल उठाए जाते। हाल ही में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच कोलकाता में भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला था, जहां विदेशी खिलाड़ियों ने पिच की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे।


क्या एशिया के लिए अलग नियम हैं?

दुनिया भर में यह चर्चा होती है कि ऐसी पिचें टेस्ट क्रिकेट के लिए उपयुक्त नहीं हैं। लेकिन क्या यह मानदंड सभी देशों पर लागू होता है? जब एशिया में टेस्ट मैच जल्दी समाप्त होते हैं, तो पिच पर सवाल उठते हैं। कहा जाता है कि ये पिचें "अत्यधिक मददगार" होती हैं, जिससे मैच चौथे या पांचवें दिन तक नहीं पहुंच पाते।


हालांकि, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में भी हाल के वर्षों में कई टेस्ट मैच दो या तीन दिन में समाप्त हुए हैं, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं होती। उदाहरण के लिए, जनवरी 2024 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया टेस्ट डेढ़ दिन में खत्म हो गया था। ऑस्ट्रेलिया में भी अब पारंपरिक स्थिर पिचों की जगह अधिक चुनौतीपूर्ण पिचें देखने को मिल रही हैं।


एशेज में दो दिन का खेल

हाल ही में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर एशेज सीरीज के दौरान पहले दिन ही 20 विकेट गिरे। दूसरे दिन ऑस्ट्रेलिया 132 रन पर ऑलआउट हो गया और इंग्लैंड ने लक्ष्य हासिल कर लिया। इस प्रकार, पूरा टेस्ट केवल दो दिन में समाप्त हो गया।


यदि ऐसा भारत में होता, तो सोशल मीडिया पर भारी हंगामा मच जाता और आलोचकों की तीखी प्रतिक्रियाएं आतीं, लेकिन मेलबर्न की पिच पर किसी विशेषज्ञ ने खास प्रतिक्रिया नहीं दी।


मोंटी पनेसर की टिप्पणी

इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर ने इस दोहरे मापदंड पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि यदि भारत में एक दिन में 15-16 विकेट गिरते हैं, तो सभी शिकायत करने लगते हैं, लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड में गेंद अधिक सीम या स्विंग करती है, तो इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।


पनेसर का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए मैचों को कम से कम 4-5 दिन तक चलना चाहिए। दो दिन में समाप्त होने वाले टेस्ट न केवल एशेज की प्रतिष्ठा के लिए सही हैं, बल्कि खेल के भविष्य के लिए भी।


ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर सवाल

पनेसर ने यह भी कहा कि जब ऑस्ट्रेलिया पहले ही एशेज जीत चुका था, तो वे थोड़ी संतुलित पिच बना सकते थे। उन्होंने 10 मिमी घास वाली पिचों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतनी घास होने से मैच जल्दी खत्म हो जाता है, जो टेस्ट क्रिकेट के हित में नहीं है।