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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार के बाद भारतीय बल्लेबाजी की चुनौतियाँ

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया हार ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी में धीमी गति की समस्याओं को उजागर किया है। इस मैच में प्रतीका रावल और स्मृति मंधाना की पारी पर चर्चा हो रही है, लेकिन यह केवल एक पहलू है। पूरी टीम को इस चुनौती का सामना करना होगा। जानें कैसे हरलीन देओल और हरमनप्रीत कौर ने अपनी पारी में सुधार किया और अगली चुनौती के लिए टीम को क्या करना होगा।
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भारतीय बल्लेबाजों की धीमी रन गति पर चर्चा

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया मैच में मिली हार के बाद, भारतीय बल्लेबाज प्रतीका रावल के स्ट्राइक रेट और उनकी ओपनिंग की क्षमता पर चर्चा तेज हो गई है। हालांकि, यह आलोचना भारतीय बल्लेबाजी की समस्याओं का केवल एक पहलू है। मध्य ओवरों में रन बनाने की धीमी गति पूरी टीम के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई। स्मृति मंधाना ने अच्छी शुरुआत की, 36 गेंदों में 34 रन बनाकर, लेकिन उनकी बल्लेबाजी भी बीच में धीमी हो गई। अगले 26 गेंदों में उन्होंने केवल 24 रन जोड़े, जिसमें 14 रन दो चौकों और एक छक्के से आए। बाकी 23 गेंदों में उन्होंने सिर्फ 10 रन बनाए और आउट हो गईं।
प्रतीका ने 43 गेंदों में 36 रन बनाए, जो मंधाना के आंकड़ों के करीब था, लेकिन बाद में 53 गेंदों में केवल 28 रन ही बना पाईं। विशेष रूप से स्मृति के आउट होने के बाद हरलीन देओल के साथ उनकी साझेदारी में गति और भी धीमी हो गई। इस दौरान प्रतीका ने 29 गेंदों में 14 रन बनाए। हरलीन भी 24 गेंदों में 14 रन बनाने में संघर्ष कर रही थीं।
इसके बाद हरमनप्रीत कौर ने 9 गेंदों में 11 रनों की तेज पारी खेलकर अच्छे संकेत दिए। हालांकि, हरलीन का प्रदर्शन तब सुधरा जब हरमनप्रीत आउट हुईं और अंतिम ओवरों में उन्होंने 22 गेंदों पर 32 रन बनाए। कुल मिलाकर उनकी तेज़ी तब आई जब पारी का अंत करीब था।
प्रतीका को अकेले दोषी ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि धीमी रन गति के लिए सभी खिलाड़ियों का योगदान था। हरलीन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया कि पिच बाहर से बल्लेबाजों के अनुकूल दिख रही थी, लेकिन अंदर जाकर गेंद धीमी थी, जिससे उन्हें समय लेने की आवश्यकता पड़ी।
ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की अनुशासन और कड़ी गेंदबाजी ने भारतीय बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल बना दिया। मुल्लांपुर में अगला वनडे होने वाला है, जहां भारतीय टीम को बेहतर तैयारी के साथ मैदान पर उतरना होगा। इस हार से यह स्पष्ट हो गया है कि मध्य ओवरों की धीमी रन गति का जिम्मा किसी एक खिलाड़ी पर नहीं डाला जा सकता। भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सफलता के लिए पूरे बल्लेबाजी क्रम को इस दबाव को साझा करना होगा ताकि वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें.