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गुवाहाटी में टेस्ट क्रिकेट में नया बदलाव: लंच और टी ब्रेक का क्रम उलटा

गुवाहाटी में 22 नवंबर 2025 को होने वाले टेस्ट मैच में लंच और टी ब्रेक का क्रम पहली बार उलट दिया गया है। यह बदलाव पूर्वोत्तर भारत के मौसम के कारण किया गया है, जहां सूरज जल्दी डूब जाता है। जानें इस ऐतिहासिक बदलाव के पीछे की कहानी और नया समय सारणी।
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गुवाहाटी में टेस्ट क्रिकेट में नया बदलाव: लंच और टी ब्रेक का क्रम उलटा

गुवाहाटी में ऐतिहासिक टेस्ट मैच


गुवाहाटी: टेस्ट क्रिकेट की 148 साल पुरानी परंपरा में एक अनोखा बदलाव देखने को मिलने वाला है। 22 नवंबर 2025 को गुवाहाटी के बारसापारा क्रिकेट स्टेडियम में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच होने वाले टेस्ट मैच में लंच और टी ब्रेक का क्रम पूरी तरह से बदल दिया गया है।


अब पहले टी ब्रेक लिया जाएगा और उसके बाद लंच ब्रेक होगा। यह बदलाव क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हो रहा है। पहले कभी भी टेस्ट क्रिकेट में ऐसा नहीं हुआ, लेकिन अब यह पुरानी परंपरा टूटने जा रही है।


परंपरा का टूटना: कारण क्या है?

टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत 1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई थी। तब से लेकर अब तक, टेस्ट मैचों में एक निश्चित पैटर्न का पालन किया जाता रहा है। पहले सेशन के बाद लंच ब्रेक, फिर दूसरे सेशन के बाद टी ब्रेक और अंत में तीसरे सेशन के बाद दिन का खेल समाप्त होता है।


पिंक बॉल टेस्ट में भी यही पैटर्न होता है, बस लंच को डिनर और टी को आफ्टरनून टी के नाम से जाना जाता है। लेकिन गुवाहाटी टेस्ट में यह क्रम बदलने जा रहा है।


पूर्वोत्तर का मौसम: असली कारण

गुवाहाटी पूर्वोत्तर भारत में स्थित है, जहां सूरज जल्दी डूब जाता है। नवंबर में शाम 4:30-5 बजे के आसपास रोशनी कम हो जाती है। यदि पुराने समय सारणी के अनुसार मैच खेला जाता, तो अंतिम सेशन में रोशनी की कमी के कारण खेल को जल्दी रोकना पड़ता और ओवर कम हो जाते।


नया समय सारणी


  • मैच सुबह 9:00 बजे शुरू होगा (पहले की तरह 9:30 नहीं)

  • पहला सेशन: 9:00 से 11:00 बजे तक (2 घंटे)

  • टी ब्रेक: 11:00 से 11:20 तक (20 मिनट)

  • दूसरा सेशन: 11:20 से 1:20 तक (फिर 2 घंटे)

  • लंच ब्रेक: 1:20 से 2:00 तक (40 मिनट)

  • तीसरा सेशन: 2:00 से 4:00 बजे तक


बदलाव का महत्व

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में कभी भी ब्रेक का क्रम नहीं बदला गया था, न ही मौसम के कारण। लेकिन पहली बार पूर्वोत्तर भारत के मौसम ने 148 साल पुरानी अंग्रेजी परंपरा को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है।