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दून मेडिकल कॉलेज में ‘हिंद की चादर’ नाटक का भव्य आयोजन

दून मेडिकल कॉलेज में ‘हिंद की चादर’ नाटक का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भाग लिया। यह नाटक गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को समर्पित था, जो धार्मिक स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। इस कार्यक्रम ने दर्शकों को गर्व और सिहरन से भर दिया। जानें इस विशेष आयोजन के बारे में और क्या कुछ हुआ।
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दून मेडिकल कॉलेज का सांस्कृतिक आयोजन

शाम होते ही दून मेडिकल कॉलेज का ऑडिटोरियम रोशनी से भर गया। हर कोना एक विशेष आयोजन की गरिमा से भरा हुआ था। जब मंच पर पर्दा उठा, तो उपस्थित दर्शकों को गर्व और सिहरन से भर देने वाला नाटक ‘हिंद की चादर’ प्रस्तुत किया गया। इस नाटक को देखने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विशेष रूप से उपस्थित हुए, साथ ही दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा भी मंच की पहली पंक्ति में थे।


यह आयोजन उत्तराखंड सिख समन्वय समिति और श्री गुरु तेग बहादुर चैरिटेबल अस्पताल देहरादून के सहयोग से आयोजित किया गया था। यह केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं थी, बल्कि गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को याद करने का एक आध्यात्मिक अवसर भी था।


‘हिंद की चादर’ एक उपाधि है जो केवल एक महापुरुष को दी गई थी। यह उपाधि सिखों के नवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर को दी गई, जो भारत की धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता की रक्षा के प्रतीक हैं। गुरु तेग बहादुर ने धर्म के अधिकार की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, जब मुगल सत्ता धार्मिक कट्टरता के चरम पर थी।


सन् 1675 में, जब कश्मीरी पंडितों को इस्लाम कबूल करने के लिए प्रताड़ित किया गया, उन्होंने गुरु तेग बहादुर से सहायता मांगी। गुरुजी ने न केवल उनकी पीड़ा सुनी, बल्कि दिल्ली दरबार में जाकर औरंगजेब के समक्ष अपना विरोध प्रकट किया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें बंदी बना लिया गया और चांदनी चौक में ‘शीशगंज साहिब’ स्थल पर उनका सिर कलम कर दिया गया। उनकी यह अमर कुर्बानी आज भी दिल्ली के हृदय में स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में श्रद्धा से पूजी जाती है।