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पृथ्वी शॉ: संघर्ष के बाद वापसी की ओर बढ़ते युवा बल्लेबाज

पृथ्वी शॉ, जो कभी सचिन तेंदुलकर का उत्तराधिकारी माना जाता था, ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 2018 में अंडर-19 विश्व कप जीतने के बाद, उनकी वापसी की राह कठिन हो गई थी। हालांकि, अब वह महाराष्ट्र के लिए बुची बाबू टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। शॉ ने अपनी फिटनेस और अनुशासन पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे वह अपनी पुरानी फॉर्म को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। जानें उनके संघर्ष और वापसी की कहानी।
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पृथ्वी शॉ: संघर्ष के बाद वापसी की ओर बढ़ते युवा बल्लेबाज

पृथ्वी शॉ का क्रिकेट सफर

पृथ्वी शॉ: पृथ्वी शॉ का नाम भारतीय क्रिकेट में एक समय सचिन तेंदुलकर के उत्तराधिकारी के रूप में लिया जाता था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस युवा बल्लेबाज का करियर कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है। 2018 में अंडर-19 विश्व कप जीतने और टेस्ट में शतक लगाने के बाद, शॉ की भारतीय टीम में वापसी की राह कठिन हो गई है। फिर भी, 25 वर्षीय इस खिलाड़ी ने हार नहीं मानी है और अब वह अपने बल्ले से रनों की बौछार कर रहे हैं।


पृथ्वी शॉ का करियर और चुनौतियाँ

पृथ्वी शॉ का करियर 2021 के बाद से कई मुश्किलों में रहा है। उन्होंने आखिरी बार जुलाई 2021 में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। इसके बाद से फिटनेस और अनुशासन से जुड़ी समस्याओं ने उनके करियर को प्रभावित किया। उनकी घरेलू टीम मुंबई ने भी अनुशासन के कारण उन्हें बाहर कर दिया। लेकिन अब, महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए, शॉ ने नई शुरुआत की है। वह बुची बाबू टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी पुरानी फॉर्म को वापस लाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।


बल्ले से शॉ की चमक

पृथ्वी शॉ बल्ले से दिखाई चमक

महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए, पृथ्वी शॉ ने बुची बाबू टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। छत्तीसगढ़ के खिलाफ 111 रनों की शानदार पारी और टीएनसीए प्रेसिडेंट इलेवन के खिलाफ 66 रनों की पारी ने सभी का ध्यान खींचा है। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी और बड़े स्कोर बनाने की भूख स्पष्ट है। महाराष्ट्र के मुख्य चयनकर्ता अक्षय दरेकर ने कहा, "पृथ्वी सही दिशा में हैं। उनकी बल्लेबाजी में कोई कमी नहीं है। वह फिटनेस पर ध्यान दे रहे हैं और पूरी तरह से समर्पित हैं।"


फिटनेस और अनुशासन पर ध्यान

फिटनेस और अनुशासन पर जोर

पृथ्वी शॉ के लिए सबसे बड़ी चुनौती मैदान के बाहर रही है। फिटनेस की कमी और अनुशासन से जुड़ी समस्याओं ने उनके करियर को प्रभावित किया। लेकिन अब शॉ ने 2018 जैसी फिटनेस हासिल करने का संकल्प लिया है। वह नियमित रूप से ट्रेनिंग कर रहे हैं और अपनी पुरानी लय को वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दरेकर का कहना है, "पृथ्वी का लक्ष्य बड़े रन बनाना और महाराष्ट्र को रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट तक ले जाना है।"