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भारत और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटरों ने बेन ऑस्टिन को श्रद्धांजलि दी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरे टी20 मैच में खिलाड़ियों ने युवा क्रिकेटर बेन ऑस्टिन की याद में काली पट्टी बांधकर श्रद्धांजलि दी। बेन की दुखद मृत्यु ने क्रिकेट जगत को झकझोर दिया है। जानें इस घटना के बारे में और कैसे यह खेल की एकता को दर्शाता है।
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटरों ने बेन ऑस्टिन को श्रद्धांजलि दी

मेलबर्न में दूसरा टी20 मैच


मेलबर्न: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरा टी20 मुकाबला मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर आयोजित किया जा रहा है। इस मैच में दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने काली पट्टी बांधकर मैदान में प्रवेश किया, जो एक युवा क्रिकेटर की दुखद मृत्यु के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक था।


बेन ऑस्टिन की दुखद मृत्यु

17 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर बेन ऑस्टिन की आकस्मिक मृत्यु ने क्रिकेट जगत को झकझोर दिया। वे फर्नट्री गली में नेट प्रैक्टिस कर रहे थे, जब एक टी20 मैच से पहले गेंद फेंकते समय गेंद उनके गले पर लग गई। हेलमेट पहनने के बावजूद, उनके पास स्टेम गार्ड नहीं था, जो गले की सुरक्षा करता है।


अस्पताल में हुई मृत्यु

पैरामेडिक्स ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर थी। मंगलवार को चोट लगने के बाद, वे अगले दिन चल बसे। फर्नट्री गली क्रिकेट क्लब ने एक बयान जारी कर कहा कि पूरी समुदाय इस घटना से सदमे में है। क्लब ने बेन के माता-पिता और भाइयों को सांत्वना दी।


टीमों का सम्मान

भारतीय टीम, जिसका नेतृत्व सूर्यकुमार यादव कर रहे हैं, और ऑस्ट्रेलियाई टीम, जिसका नेतृत्व मिशेल मार्श कर रहे हैं, ने काली पट्टी बांधकर बेन ऑस्टिन को श्रद्धांजलि दी।


इससे पहले, आईसीसी महिला विश्व कप 2025 के दूसरे सेमीफाइनल में भी भारत और ऑस्ट्रेलिया की महिला टीमों ने यही किया था। यह इशारा दर्शाता है कि क्रिकेट में एकता कितनी महत्वपूर्ण है।




2014 की घटना की याद

बेन की मृत्यु ने 2014 में हुई एक घटना की याद दिला दी, जब ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिल ह्यूज को बाउंसर से गले पर लगी गेंद से जान गंवानी पड़ी थी। उनकी मृत्यु के बाद हेलमेट सुरक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे। स्टेम गार्ड को अनिवार्य किया गया था, जो गले की सुरक्षा करता है।


दुर्भाग्यवश, बेन के हेलमेट में यह सुरक्षा उपकरण नहीं था। उनकी मृत्यु ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि क्रिकेट में खतरे हमेशा मौजूद रहते हैं। ऐसे दुर्लभ लेकिन गंभीर हादसे सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाते हैं।