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भारत का फुटबॉल एशियाई कप क्वालिफिकेशन अभियान समाप्त

भारत का फुटबॉल एशियाई कप क्वालिफिकेशन अभियान सिंगापुर के खिलाफ हार के साथ समाप्त हो गया है। पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने टीम में बदलाव और युवा खिलाड़ियों को मौका देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। सुनिल छेत्री की वापसी पर भी सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि टीम के परिणामों में कोई सुधार नहीं हुआ। जानें भारतीय फुटबॉल के भविष्य के लिए क्या रणनीतियाँ अपनाई जानी चाहिए।
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भारत का फुटबॉल एशियाई कप क्वालिफिकेशन अभियान समाप्त

फुटबॉल एशियाई कप क्वालिफिकेशन: भारत की हार


भारत का फुटबॉल एशियाई कप क्वालिफिकेशन अभियान सिंगापुर के खिलाफ हार के साथ समाप्त हो गया है। तीसरे राउंड में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा, और अब भी दो मैच बाकी होने के बावजूद, वे टूर्नामेंट की मुख्य दौड़ से बाहर हो चुके हैं। यह भारतीय फुटबॉल के लिए हाल के वर्षों में सबसे कमजोर समयों में से एक माना जा रहा है। 2019 और 2023 में एशियाई कप के लिए क्वालिफाई करने के बाद, टीम उस उन्नति को बनाए रखने में असफल रही है।


युवाओं को मौका देने की आवश्यकता

वर्तमान में, भारत अपने ग्रुप में सबसे निचले स्थान पर है। हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर और बांग्लादेश के पीछे, ब्लू टाइगर्स ने चार मैचों में कोई जीत नहीं हासिल की है और केवल दो ड्रा पर संतोष करना पड़ा है। ऐसे में टीम के पुनर्गठन और नई रणनीतियों पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है।


पूर्व भारतीय कप्तान बाइचुंग भूटिया ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उनके अनुसार, अब समय आ गया है कि टीम में बदलाव किया जाए और युवा खिलाड़ियों को अवसर दिया जाए। हालांकि, इसका सीधा असर भारत के वर्तमान स्टार खिलाड़ी और कप्तान, सुनिल छेत्री पर पड़ेगा। भूटिया ने कहा कि छेत्री को अब भारतीय फुटबॉल के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह देना चाहिए।


सुनिल छेत्री की वापसी पर सवाल

भूटिया ने मीडिया से बातचीत में कहा, "अब समय आ गया है कि सुनिल अपनी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से विदाई लें। उन्होंने शानदार करियर बिताया है, लेकिन उनकी वापसी एक बड़ी गलती थी। वरिष्ठ खिलाड़ियों जैसे सुनिल और गुरप्रीत के लिए भी अब पीछे हटने का समय है। उन्होंने भारतीय फुटबॉल की सेवा की है, लेकिन अब अगली पीढ़ी को अवसर मिलना चाहिए।"


सुनिल छेत्री ने पहले अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उन्होंने वापसी की। हालांकि, उनकी वापसी से टीम के परिणामों में कोई सुधार नहीं हुआ। 41 वर्षीय स्ट्राइकर के प्रदर्शन से टीम को अपेक्षित लाभ नहीं मिला।


भविष्य की प्राथमिकताओं पर विचार

भूटिया ने भारत के हालिया प्रदर्शन पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "यह बहुत ही निराशाजनक है क्योंकि एशियाई कप के लिए हमें नियमित रूप से क्वालिफाई करना चाहिए। जब 24 टीमों के लिए एशियाई कप में जगह है और हम क्वालिफाई नहीं कर पाते, तो यह बेहद निराशाजनक है।"


उन्होंने आगे कहा, "हम हमेशा वर्ल्ड कप और अन्य बड़े लक्ष्यों की बात करते हैं, लेकिन अगर हम एशियाई कप के लिए क्वालिफाई नहीं कर पा रहे हैं, तो हम अपने लक्ष्य से बहुत दूर हैं। हमें अपनी प्राथमिकताओं पर फिर से विचार करना होगा।"


भूटिया ने यह भी चेतावनी दी कि भारतीय फुटबॉल आज अधिकतर पैसे, कॉर्पोरेट मॉडल और यूरोपीय फुटबॉल संरचनाओं की नकल में उलझा हुआ है। उन्होंने कहा, "फुटबॉल का मतलब फुटबॉल होना चाहिए। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम कहां जा रहे हैं और हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं।"


भूटिया के इस बयान से स्पष्ट होता है कि भारतीय फुटबॉल को अब एक नई दिशा और युवाओं में निवेश की आवश्यकता है। वरिष्ठ खिलाड़ियों की विदाई और युवा टैलेंट को मौका देना ही देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से मजबूत बना सकता है।