Newzfatafatlogo

मचान विधि से खेती: बारिश में भी होगी शानदार आय, सरकार दे रही 50% अनुदान

मचान विधि से खेती अब किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, खासकर बारिश के मौसम में। यह तकनीक न केवल फसलों को सुरक्षित रखती है, बल्कि उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार करती है। जौनपुर जिले में उद्यान विभाग ने इस विधि को मिशन योजना में शामिल किया है, जिसमें किसानों को 50% तक अनुदान दिया जा रहा है। जानें इस तकनीक के लाभ और कैसे किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं।
 | 
मचान विधि से खेती: बारिश में भी होगी शानदार आय, सरकार दे रही 50% अनुदान

मचान विधि से खेती: एक नई तकनीक

मचान विधि से खेती: बारिश में भी होगी शानदार आय, सरकार दे रही 50% अनुदान: मचान विधि अब किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक बन गई है। विशेष रूप से वर्षा के मौसम में, जब मिट्टी में नमी बढ़ जाती है और कद्दू वर्गीय सब्जियों के फल जमीन पर सड़ने लगते हैं, यह विधि फसल को सुरक्षित रखने में सहायक होती है।


जौनपुर जिले की जिला उद्यान अधिकारी डॉ. सीमा सिंह राणा के अनुसार, इस तकनीक से न केवल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि गुणवत्ता भी बेहतर होती है। किसान करेले, लौकी, खीरा और नेनुआ जैसी सब्जियों को मचान पर उगाकर फल को जमीन से ऊपर रख सकते हैं, जिससे सड़ने का खतरा समाप्त हो जाता है।


मचान कैसे बनता है और इसके लाभ

कैसे बनता है मचान और क्या हैं इसके फायदे?


मचान विधि में खेत में बांस गाड़कर उन पर लकड़ियां या सूखी टहनियां बांधकर एक जालीदार ढांचा तैयार किया जाता है। पौधे इस ढांचे पर फैलते हैं और फल हवा और धूप में रहते हैं, जिससे उनका आकार अच्छा होता है और वे जल्दी पकते हैं।


इससे किसानों को बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं और उनकी आमदनी में वृद्धि होती है। डॉ. राणा बताती हैं कि थोड़ी सी सावधानी और वैज्ञानिक तरीके से किसान बारिश में भी भरपूर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।


सरकार का अनुदान

सरकार दे रही है 50% तक अनुदान


जौनपुर जिले में उद्यान विभाग ने इस विधि को मिशन योजना में शामिल किया है। इसके तहत 40 हेक्टेयर क्षेत्र में मचान विधि से खेती का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 30 हेक्टेयर सामान्य किसानों और 10 हेक्टेयर अनुसूचित जाति के किसानों के लिए आरक्षित है।


इस योजना का लाभ पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलेगा। किसान http://dbt.uphorticulture.in/ पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं या सीधे उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं।


यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय को दोगुना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।