Newzfatafatlogo

महिला वर्ल्ड कप 2025: अमनजोत कौर का अद्भुत कैच और पारिवारिक संघर्ष

महिला वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में भारत ने 298 रनों का लक्ष्य रखा, लेकिन दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट ने तेजी से रन बनाना शुरू किया। अमनजोत कौर ने एक अद्भुत कैच लेकर खेल का रुख बदल दिया। इस दौरान, उनकी दादी अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थीं, लेकिन अमनजोत ने अपने खेल से परिवार को खुशी दी। जानें इस दिलचस्प कहानी के बारे में।
 | 
महिला वर्ल्ड कप 2025: अमनजोत कौर का अद्भुत कैच और पारिवारिक संघर्ष

महिला वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल


नई दिल्ली: महिला वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल भारत के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 रनों का एक बड़ा लक्ष्य रखा, लेकिन दक्षिण अफ्रीका की टीम ने इसे हासिल करने के लिए जोरदार प्रयास किया। अफ्रीकी कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट ने तेजी से रन बनाना शुरू कर दिया।


वोल्वार्ड्ट ने केवल 98 गेंदों में अपना शतक पूरा किया, जिससे भारतीय टीम में चिंता की लहर दौड़ गई। ऐसा लग रहा था कि मैच भारत के हाथ से निकल रहा है। लेकिन इसी समय, भारतीय ऑलराउंडर अमनजोत कौर ने एक शानदार कैच लेकर खेल का रुख बदल दिया।


कैच जिसने मैच पलटा

मैच पलटने वाला वो कैच


दक्षिण अफ्रीका की पारी के 42वें ओवर में दीप्ति शर्मा की गेंद पर वोल्वार्ड्ट बड़ा शॉट मारने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन गेंद उनकी टाइमिंग से चूक गई और हवा में ऊंची उछल गई। अमनजोत कौर तेजी से अपनी बाईं ओर दौड़ीं और कैच लेने के लिए छलांग लगाई।


गेंद उनके हाथों से एक बार नहीं, बल्कि दो बार फिसली, लेकिन उन्होंने उसे जमीन पर गिरने से पहले मजबूती से पकड़ लिया। इससे वोल्वार्ड्ट की शानदार पारी समाप्त हो गई और भारत की जीत की संभावना बढ़ गई। यह कैच महिला क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।


पारिवारिक संघर्ष

मैदान पर इतिहास और पारिवारिक संकट


अमनजोत मैदान पर देश के लिए इतिहास रच रही थीं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी 75 वर्षीय दादी भगवंती देवी अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थीं। वर्ल्ड कप के दौरान दादी को दिल का दौरा पड़ा था। अमनजोत के पिता भूपिंदर सिंह ने यह बात अपनी बेटी से छुपाई ताकि उसका ध्यान न भटके।


अमनजोत कौर का क्रिकेट सफर

अमनजोत कौर के क्रिकेट करियर की शुरुआत


भूपिंदर सिंह, जो पेशे से बढ़ई और ठेकेदार हैं, ने बताया कि दादी अमनजोत की ताकत का बड़ा स्रोत रही हैं। बचपन में, जब अमनजोत मोहाली के फेज-5 में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थीं, तो दादी घंटों बाहर बैठकर उन्हें देखती थीं।


पिता अपनी दुकान पर होते थे, लेकिन दादी का साथ हमेशा अमनजोत को मिलता था। हार्ट अटैक के बाद परिवार अस्पताल में था, लेकिन किसी ने अमनजोत को नहीं बताया। वर्ल्ड कप की जीत ने इस दुखद समय में परिवार को बड़ी खुशी दी।