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रोहित शर्मा ने चेतेश्वर पुजारा के बारे में साझा की यादें

भारतीय क्रिकेट के दिग्गज रोहित शर्मा ने चेतेश्वर पुजारा के बारे में अपने अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे पुजारा का विकेट उनकी टीम के लिए महत्वपूर्ण था और उनके क्रिकेट के प्रति जुनून ने उन्हें प्रेरित किया। रोहित ने अपने जूनियर क्रिकेट के दिनों की यादें भी साझा कीं, जब पुजारा के खिलाफ खेलने का दबाव उनके चेहरे पर साफ नजर आता था। इस लेख में पुजारा की क्रिकेट यात्रा और रोहित की यादों का एक दिलचस्प विवरण है।
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रोहित शर्मा ने चेतेश्वर पुजारा के बारे में साझा की यादें

रोहित शर्मा का पुजारा पर खुलासा

रोहित शर्मा ने चेतेश्वर पुजारा के बारे में कहा: भारतीय क्रिकेट के प्रमुख बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा लंबे समय से टीम से बाहर हैं। हाल ही में, टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वाले कप्तान रोहित शर्मा ने उनके बारे में एक महत्वपूर्ण बात साझा की। उन्होंने बताया कि जब वे जूनियर क्रिकेट खेलते थे, तब टीम की मीटिंग में चर्चा का मुख्य विषय यह होता था कि पुजारा को कैसे आउट किया जाए।


रोहित की यादें

मेरे चेहरे का रंग बदल जाता था- रोहित


रोहित ने कहा कि पुजारा का विकेट उनकी टीम के लिए जीत या हार का संकेत होता था। उन्होंने बताया कि पुजारा एक साहसी बल्लेबाज हैं, जिन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 19 शतक और 35 अर्धशतक बनाकर 43.60 की औसत से 7,195 रन बनाए हैं। रोहित ने 5 जून को पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ’ के विमोचन पर कहा, 'जब मैं 14 साल का था और मैदान पर जाता था, तो घर लौटने पर मेरा चेहरा पूरी तरह बदल जाता था। पुजारा पूरे दिन बल्लेबाजी करता था और हम धूप में फील्डिंग करते थे। मेरी मां ने मुझसे कई बार पूछा कि जब मैं खेलने जाता हूं तो अलग दिखता हूं और जब लौटता हूं तो भी। मैंने उन्हें बताया कि यह सब पुजारा की वजह से है।'


क्रिकेट के प्रति पुजारा का जुनून

उनका क्रिकेट के लिए जुनून गजब का था- रोहित


रोहित ने आगे कहा, 'मैं अपनी मां से कहता था कि चेतेश्वर पुजारा नाम का एक बल्लेबाज है जो तीन दिनों से बल्लेबाजी कर रहा है।' उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में दोनों घुटनों में चोट के बावजूद 100 से अधिक टेस्ट खेलने का श्रेय पुजारा को दिया। उन्होंने कहा, 'यह बहुत बड़ी और गंभीर चोट थी। उनकी दोनों एसीएल चली गई थीं। किसी भी क्रिकेटर के लिए यह बहुत कठिन होता है। हम उनकी दौड़ने की तकनीक का मजाक उड़ाते थे, लेकिन इसके बाद भी वह भारत के लिए 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने में सफल रहे। क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और जुनून अद्वितीय था।'