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लखीमपुर खीरी में कथा वाचक की पहचान पर विवाद

लखीमपुर खीरी में एक कथा वाचक पर जाति छिपाने का आरोप लगा है। कथा के दौरान उन्होंने खुद को ब्राह्मण बताया, लेकिन बाद में अपनी असली पहचान पारस मौर्य के रूप में उजागर की। इस घटना ने कथा के दौरान विवाद उत्पन्न कर दिया, जब श्रद्धालुओं को उनकी असली पहचान का पता चला। जानें इस दिलचस्प कहानी के बारे में और कैसे उन्होंने माफी मांगी।
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लखीमपुर खीरी में कथा वाचक की पहचान पर विवाद

कथा वाचक की पहचान का खुलासा

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक कथा वाचक के खिलाफ जाति छिपाने का मामला सामने आया है। कथित तौर पर, कथा वाचक ने पहले खुद को ब्राह्मण बताया, लेकिन जब उनकी असली पहचान का खुलासा हुआ, तो उन्होंने अपना नाम पारस मौर्य बताया।

यह घटना खमरिया कस्बे के राम जानकी मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान हुई। कथा के आरंभ में कथा वाचक ने खुद को पारस मणि तिवारी, काशी का निवासी बताया। कथा का आयोजन छह दिनों तक सफलतापूर्वक चला, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। लेकिन सातवें दिन, भंडारे और पूर्ण आहुति के समय, सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के माध्यम से यह जानकारी फैली कि कथा वाचक वास्तव में काशी के ब्राह्मण नहीं हैं, बल्कि छलरिया मैगलगंज के निवासी हैं। जब कई लोगों ने उनसे इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने पहले खुद को ब्राह्मण बताया, लेकिन बाद में अपनी असली पहचान स्वीकार करते हुए सभी से माफी मांगी और कथा का समापन किया।