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सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में भारत ने एशिया कप 2025 जीता, ट्रॉफी विवाद छाया

भारतीय क्रिकेट टीम ने सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में एशिया कप 2025 का खिताब जीता, लेकिन ट्रॉफी विवाद ने खिताबी जश्न को प्रभावित किया। फाइनल में पाकिस्तान को हराने के बाद, भारतीय खिलाड़ियों ने एसीसी चेयरमैन से ट्रॉफी लेने से मना कर दिया। सूर्यकुमार ने अपनी मैच फीस भारतीय सेना को दान करने की घोषणा की और कहा कि उनकी असली ट्रॉफियां उनके खिलाड़ी हैं। जानें इस दिलचस्प कहानी के बारे में और अधिक।
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सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में भारत ने एशिया कप 2025 जीता, ट्रॉफी विवाद छाया

भारत ने एशिया कप 2025 का खिताब जीता

सूर्यकुमार यादव ट्रॉफी विवाद: दुबई: भारतीय क्रिकेट टीम ने सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में एशिया कप 2025 का खिताब अपने नाम किया। फाइनल में पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर भारत ने यह खिताब नौवीं बार जीता। टॉस जीतकर भारत ने पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया और पाकिस्तान को 19.1 ओवर में 146 रनों पर समेट दिया।


पाकिस्तान की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन 84 रन बिना विकेट खोए बनाने के बाद उनकी पारी जल्दी समाप्त हो गई। भारत ने 147 रनों का लक्ष्य 19.4 ओवर में 5 विकेट खोकर हासिल कर लिया। तिलक वर्मा ने 53 गेंदों में 69 रनों की नाबाद पारी खेलकर जीत की नींव रखी।


बिना ट्रॉफी के मनाया गया खिताबी जश्न

सूर्यकुमार यादव की अगुवाई में भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। भारत ने सात में से सभी मैच जीतकर अजेय रहकर फाइनल में प्रवेश किया। भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बार मुकाबला हुआ, और हर बार भारत ने जीत दर्ज की।


पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए भारतीय खिलाड़ियों ने टॉस और मैच के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से मना कर दिया।


फाइनल में भारत ने एसीसी चेयरमैन मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद नकवी ट्रॉफी और मेडल्स अपने साथ ले गए। इस कारण भारतीय टीम ने बिना ट्रॉफी के मैदान पर जीत का जश्न मनाया। कप्तान सूर्यकुमार प्रेजेंटेशन सेरेमनी में शामिल नहीं हुए।


भारतीय सेना को समर्पित की मैच फीस

जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूर्यकुमार यादव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने एशिया कप 2025 की अपनी पूरी मैच फीस भारतीय सेना को दान करने का निर्णय लिया।


ट्रॉफी विवाद पर उन्होंने कहा, “मैंने अपने करियर में ऐसा पहले कभी नहीं देखा। क्रिकेट खेलने और देखने के दौरान मैंने पहली बार देखा कि चैंपियन टीम को ट्रॉफी देने से मना किया गया। हमारी मेहनत से जीती ट्रॉफी के हम हकदार थे। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।” उनकी यह बात प्रशंसा के योग्य थी।


“मेरी असली ट्रॉफियां मेरे खिलाड़ी हैं”

सूर्यकुमार ने आगे कहा, “मेरी सारी ट्रॉफियां मेरे ड्रेसिंग रूम में बैठी हैं। मेरे 14 खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ मेरी असली ट्रॉफियां हैं। पूरे टूर्नामेंट में मैं इनका फैन रहा हूं। ये असली पल हैं, जो मेरे लिए हमेशा यादगार रहेंगे।” उनकी यह बात न केवल टीम की एकजुटता को दर्शाती है, बल्कि उनके नेतृत्व और देशभक्ति को भी उजागर करती है।