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स्मृति मंधाना की शादी: कुलदेवी को पहला निमंत्रण

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उप-कप्तान स्मृति मंधाना अपनी शादी की तैयारियों में व्यस्त हैं। उन्होंने अपने पहले विवाह निमंत्रण कार्ड को राजस्थान के डीडवाना स्थित सुरल्या माता मंदिर को भेजा है। यह कदम उनके परिवार के 200 साल पुराने संबंध को दर्शाता है। जानें इस अनोखी परंपरा और स्मृति के परिवार के इतिहास के बारे में।
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स्मृति मंधाना की शादी: कुलदेवी को पहला निमंत्रण

जयपुर में शादी की तैयारियों में व्यस्त स्मृति मंधाना


जयपुर: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उप-कप्तान स्मृति मंधाना इन दिनों अपनी शादी को लेकर चर्चा में हैं। संगीतकार पलाश मुछाल के साथ उनकी शादी जल्द ही होने वाली है।


शादी की तैयारियों में एक खास बात यह है कि स्मृति ने अपना पहला विवाह निमंत्रण कार्ड राजस्थान के डीडवाना स्थित सुरल्या माता मंदिर को भेजा है। इसके पीछे एक 200 साल पुराना पारिवारिक संबंध है।


डीडवाना से सांगली तक का ऐतिहासिक सफर

हालांकि स्मृति का जन्म महाराष्ट्र के सांगली में हुआ, लेकिन उनके पूर्वज लगभग दो सौ साल पहले डीडवाना से वहां बसने गए थे। उस समय उनका परिवार डीडवाना के कोट मोहल्ले में निवास करता था।


कुलदेवी सुरल्या माता की पूजा भी यहीं होती थी। परिवार बाद में महाराष्ट्र चला गया, लेकिन कुलदेवी के प्रति उनकी आस्था आज भी बरकरार है। वर्तमान में सुरल्या माता की मूर्ति डीडवाना के सुपका रोड पर स्थित भव्य मंदिर में स्थापित है।


पांच साल पहले मां के साथ किए थे दर्शन

मंदिर के पुजारी गोविंद व्यास और अमित व्यास के अनुसार, लगभग पांच साल पहले स्मृति अपनी मां के साथ सुरल्या माता के दर्शन के लिए आई थीं। उस समय उन्होंने माता से आशीर्वाद लिया था।


स्मृति की मां का कहना है कि माता की कृपा से उनकी बेटी की सभी इच्छाएं पूरी हुई हैं और क्रिकेट में जो सफलता मिली है, उसमें कुलदेवी का आशीर्वाद महत्वपूर्ण रहा है।


दूल्हे का परिवार भी डीडवाना से जुड़ा

दिलचस्प बात यह है कि जिस परिवार में स्मृति शादी कर रही हैं, उसका भी डीडवाना से गहरा संबंध है। पलाश मुछाल का परिवार वर्तमान में इंदौर में रहता है, लेकिन उनके पूर्वज भी डीडवाना के निवासी थे।


उनका पैतृक घर सोमानियों की गली में था। मुच्छल परिवार श्याम महाराज मंदिर का बड़ा भक्त है और उनके पूर्वजों ने उस मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


कुलदेवी को पहला निमंत्रण

राजस्थान और मारवाड़ी समाज में यह परंपरा है कि किसी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले कुलदेवी या कुलदेवता को निमंत्रण दिया जाता है। स्मृति मंधाना ने भी यही परंपरा निभाई। शादी का पहला निमंत्रण कार्ड मंदिर पहुंचते ही पुजारी ने माता के चरणों में रखा और विशेष पूजा-अर्चना की।