अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का दूसरा दिन: सांस्कृतिक उत्सव और खरीदारी का आनंद
कुरुक्षेत्र में गीता महोत्सव का जश्न
कुरुक्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का दूसरा दिन उत्साह और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा। रविवार की सुबह से ही पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ी। ब्रह्मसरोवर से लेकर संस्कृति मंच, शिल्प मेला और मेला ग्राउंड तक हर जगह रौनक बनी रही। हजारों लोग विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झलकियां देखने और अपनी परंपराओं से जुड़ने के लिए पहुंचे।
गीता रन में भागीदारी
सुबह के समय गीता रन में युवाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की बड़ी संख्या ने भाग लिया। ब्रह्मसरोवर क्षेत्र में आयोजित इस दौड़ का उद्देश्य गीता के संदेश, कर्म और अनुशासन को फैलाना था। प्रतिभागियों की ऊर्जा और उत्साह ने पूरे माहौल को जीवंत बना दिया।
शिल्पकारों की खुशी
रविवार की भारी भीड़ ने सरस और शिल्प मेले में सकारात्मक प्रभाव डाला। पर्यटकों ने जमकर खरीदारी की, जिसमें मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के सजावटी सामान, हस्तनिर्मित उत्पाद, पारंपरिक आभूषण और हैंडलूम आइटम्स शामिल थे। शिल्पकारों ने कहा कि दूसरे दिन की बिक्री ने उनकी उम्मीदों से अधिक खुशी दी है।
पारंपरिक नृत्यों का जादू
दिनभर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब से आए कलाकारों ने अपनी पारंपरिक लोकधुनों और नृत्यों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। हिमाचल की नाटी ने शांति और सौहार्द का संदेश दिया, जबकि राजस्थान के कालबेलिया ने अपनी उमंग भरी तालों से माहौल को गर्मा दिया।
जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के लोकनृत्य और पंजाब के भांगड़ा-गिद्धा ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कलाकारों की रंगीन वेशभूषा और ऊर्जावान प्रस्तुतियों ने महोत्सव को नई चमक दी। शाम होते ही ब्रह्मसरोवर पर आयोजित सांध्यकालीन महाआरती ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
