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इंद्रायणी नदी: धार्मिक महत्व और हालिया हादसा

इंद्रायणी नदी, जो महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वत से निकलती है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह नदी संत ज्ञानेश्वर से जुड़ी हुई है और आलंदी में तीर्थयात्रियों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। हाल ही में, इस नदी पर बने पुल के ढहने से 20-25 पर्यटक बह गए और 5 लोगों की मृत्यु हो गई, जिससे नदी की चर्चा फिर से तेज हो गई। जानें इस नदी का महत्व और हालिया घटनाक्रम के बारे में।
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इंद्रायणी नदी: धार्मिक महत्व और हालिया हादसा

इंद्रायणी नदी का परिचय

इंद्रायणी नदी महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के लोनावला के निकट कुर्वड गांव से निकलती है। यह एक वर्षा आधारित नदी है, जो हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों देहू और आलंदी से होकर बहती है और अंततः भीमा नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 103 किलोमीटर है।


धार्मिक महत्व

यह नदी हिंदू धर्म में एक पूजनीय स्थान रखती है और संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों से जुड़ी हुई है। इंद्रायणी नदी का स्थानीय समुदायों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, विशेषकर आलंदी में, जहां संत ज्ञानेश्वर की समाधि स्थित है। यह संत मराठी साहित्य और भक्ति आंदोलन के प्रमुख व्यक्तित्व थे। कई तीर्थयात्री ज्ञानेश्वर की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आलंदी आते हैं, जहां नदी के किनारे संत के अवशेष सुरक्षित हैं।


बांधों का निर्माण

इंद्रायणी नदी के किनारे कई बांध बनाए गए हैं, जो सिंचाई और पेयजल के लिए जल का उपयोग करते हैं। इंद्रायणी बांध, जिसे इंद्रायणी नदी परियोजना के नाम से भी जाना जाता है, पुणे जिले के जम्भुल गांव में स्थित है।


हालिया हादसा

हाल ही में, इंद्रायणी नदी पर बना पुल ढह गया, जिससे यह नदी चर्चा में आ गई। यह हादसा रविवार को दोपहर 3:30 बजे हुआ, जब पुल पर कई लोग मौजूद थे। इस घटना में 20-25 पर्यटकों के बहने और 5 लोगों की मृत्यु की सूचना है।