ऑटिज़्म के उपचार में नई उम्मीद: विजयवाड़ा में फ्री कैंप का आयोजन

नए बच्चे के आगमन पर माता-पिता की चिंताएँ
जब घर में एक नए सदस्य का आगमन होता है, तो माता-पिता उसके स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। ऑटिज़्म एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में सुनते ही कई माता-पिता में चिंता उत्पन्न हो जाती है। लेकिन क्या होगा यदि आपको पता चले कि इसे रोकने के लिए समय पर कदम उठाए जा सकते हैं? हाल ही में विजयवाड़ा में आयोजित एक मुफ्त ऑटिज़्म उपचार कैंप में, रेस्प्लिस इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. चंद्रशेखर थोडूपुनूरी ने एक महत्वपूर्ण और आशा जगाने वाली बात साझा की। उन्होंने कहा, "ऑटिज़्म की शुरुआत गर्भ में ही होती है, और इसे बच्चे के जीवन में आने से पहले ही रोका जा सकता है।" यह उन सभी माता-पिता के लिए एक नई उम्मीद की किरण है जो इस समस्या को लेकर चिंतित रहते हैं।नवीनतम उपचार विधि
डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि उनका संस्थान, रेस्प्लिस इंस्टीट्यूट, भारत का पहला ऐसा केंद्र है जो ऑटिज़्म और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के लिए एक व्यापक उपचार प्रदान करता है। वे एक विशेष तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिसे फीकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन (FMT) कहा जाता है। यह सुनने में थोड़ा जटिल लग सकता है, लेकिन सरल शब्दों में इसका अर्थ है कि हमारे पेट का स्वास्थ्य हमारे मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालता है। इसे 'गट-ब्रेन एक्सिस' (Gut-Brain Axis) कहा जाता है। आज की कई बीमारियों की जड़ इसी से जुड़ी हुई है। यह संस्थान इसी संबंध को सुधारकर ऑटिज़्म, पेट से संबंधित गंभीर बीमारियों और कीमोथेरेपी के बाद होने वाली समस्याओं के उपचार में मदद कर रहा है।
माता-पिता के लिए नई आशा
विजयवाड़ा में आयोजित इस मुफ्त कैंप को लोगों से बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला। डॉ. चंद्रशेखर ने यह भी बताया कि वे जल्द ही आंध्र प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी ऐसे ही मुफ्त कैंप आयोजित करने की योजना बना रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों तक सहायता पहुँच सके।