ओला का नया शून्य-कमीशन मॉडल: ड्राइवरों को मिलेगा पूरा किराया

ओला का बड़ा कदम
ओला, जो कि एक राइड-हाइलिंग कंपनी है, ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे पूरे भारत में हलचल मच गई है। कंपनी ने शून्य-कमीशन मॉडल को लागू किया है, जिसके तहत ड्राइवर-भागीदारों को ग्राहकों से पूरा किराया लेने की अनुमति दी गई है। इस मॉडल में राइड या आय की कोई सीमा नहीं होगी, जिससे ड्राइवरों को अपनी कमाई पर पूरा नियंत्रण मिलेगा।
ड्राइवरों को मिलेगी आर्थिक स्वतंत्रता
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य ऑटो, बाइक और कैब ड्राइवरों को अपनी योजना चुनने और अपनी कमाई का 100% हिस्सा रखने की अनुमति देना है। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि इसमें कोई कमीशन या कमाई की सीमा नहीं होगी, जिससे ड्राइवर भागीदारों को अप्रतिबंधित आय के अवसर मिलेंगे।
राइड-हेलिंग उद्योग में बदलाव
शून्य प्रतिशत कमीशन मॉडल का शुभारंभ राइड-हेलिंग व्यवसायों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि कमीशन हटाने से ड्राइवर साझेदारों को अधिक स्वामित्व और अवसर प्राप्त होंगे। यह कदम देश भर में एक लचीला और टिकाऊ राइड-हेलिंग नेटवर्क बनाने में मदद करेगा।
चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया मॉडल
ओला ने इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया है, जिसमें पहले ओला ऑटो, फिर ओला बाइक और अंत में ओला कैब्स शामिल हैं। कंपनी का लक्ष्य ग्राहकों पर अतिरिक्त लागत लगाए बिना ड्राइवरों की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। पहले, ओला प्रत्येक सवारी पर 15-20% कमीशन लेती थी।
ड्राइवरों के लिए नई सुविधाएं
नए शून्य-कमीशन मॉडल के तहत, कंपनी अपने प्लेटफॉर्म तक पहुंच के लिए ड्राइवरों से एक निश्चित दैनिक या मासिक शुल्क वसूल करेगी। इससे ड्राइवरों को एक निश्चित योजना चुनकर पूरा किराया रखने की सुविधा मिलेगी। यह कदम राइड-हेलिंग उद्योग में एक मौलिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
यात्री सुरक्षा पर ध्यान
ओला, जो भारत की कुछ लाभदायक इंटरनेट कंपनियों में से एक है, यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देती है। कंपनी चालक की पृष्ठभूमि जांच, वाहन की गुणवत्ता का आकलन और इन-ऐप आपातकालीन सुविधाओं जैसे उपायों के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
प्रतिस्पर्धा और भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि शून्य कमीशन मॉडल से न केवल ड्राइवरों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि ओला की प्रतिस्पर्धी स्थिति भी मजबूत होगी। रैपिडो और नम्मा यात्री जैसे प्रतिस्पर्धी पहले से ही इसी तरह के मॉडल को अपना चुके हैं। भारत के राइड-हेलिंग क्षेत्र का अनुमानित राजस्व 2024 में 7.53 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2029 तक 11.64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।