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बांग्लादेश में प्रो. यूनुस की सरकार: ग्रामीण संगठनों को मिल रही विशेष रियायतें और विवाद

बांग्लादेश में प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने ग्रामीण संगठनों को कई विशेष रियायतें दी हैं, जिससे विवाद उत्पन्न हो गए हैं। इन रियायतों में टैक्स छूट और विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि ये निर्णय नैतिकता और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहे हैं। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था संकट में है, जबकि ग्रामीण समूह फलफूल रहे हैं। क्या यूनुस की नीतियां उन्हें विवादों में डाल रही हैं? जानें पूरी कहानी।
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बांग्लादेश में प्रो. यूनुस की सरकार: ग्रामीण संगठनों को मिल रही विशेष रियायतें और विवाद

प्रो. यूनुस की सरकार और ग्रामीण संगठनों को रियायतें

जब से नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली है, तब से ग्रामीण परिवारों से जुड़े संगठनों को लगातार विशेष रियायतें और मंजूरियां मिल रही हैं। चाहे वह ग्रामीण बैंक को टैक्स में छूट हो या ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना की अनुमति, हर निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं।


आर्थिक स्थिति और ग्रामीण समूहों की वृद्धि

यूनुस की सरकार के निर्णयों ने ग्रामीण समूहों की व्यावसायिक प्रगति को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसके साथ ही भाई-भतीजावाद, हितों के टकराव और पारदर्शिता की कमी के गंभीर आरोप भी सामने आए हैं। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है, जबकि ग्रामीण समूहों की प्रगति जारी है।


ग्रामीण संगठनों को मिली रियायतों की सूची

अगस्त 2024 में प्रो. यूनुस के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद से कई ग्रामीण संगठनों को महत्वपूर्ण अनुमतियां और टैक्स छूट प्राप्त हुई हैं। इनमें शामिल हैं:


1. ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना की मंजूरी (17 मार्च को)


2. ग्रामीण रोजगार सेवाओं को मानव संसाधन निर्यात का लाइसेंस


3. ग्रामीण टेलिकॉम को मोबाइल वॉलेट सेवा शुरू करने की अनुमति


4. ग्रामीण बैंक की टैक्स छूट की बहाली (2029 तक)


5. ग्रामीण बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 25% से घटाकर 10% करना


हालांकि ये सभी अनुमतियां कानूनी रूप से सही हैं, लेकिन नैतिकता और निष्पक्ष शासन के सिद्धांतों का पालन करने पर सवाल उठते हैं।


हितों के टकराव पर उठे सवाल

ढाका के एक समाचार पत्र ने संपादकीय में लिखा है कि जब प्रो. यूनुस को जनता के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, तब उनके संगठनों को मिली सरकारी मंजूरियों से टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।


बांग्लादेश में निजी निवेश पिछले पांच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। जनवरी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी छह साल के निचले स्तर पर था। बेरोजगारी, ऊर्जा संकट और मुद्रा मूल्य में गिरावट के बीच ग्रामीण समूहों की वृद्धि पर सवाल उठ रहे हैं।


विवादित नियुक्तियां और निर्णय

यूनुस सरकार द्वारा की गई कुछ नियुक्तियां भी विवादों में हैं।


प्रो. यूनुस के भतीजे अपुर्व जहांगिर को डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है, जिनके पास सार्वजनिक संचार का कोई अनुभव नहीं है।


नूरजहां बेगम, जो ग्रामीण बैंक की पूर्व कार्यवाहक प्रबंध निदेशक हैं, को स्वास्थ्य सलाहकार बनाया गया है, लेकिन उनकी सक्रियता विभाग में नगण्य बताई जा रही है।


क्या यूनुस ट्रंप की राह पर हैं?

राजनीतिक विश्लेषक अब प्रो. यूनुस की तुलना डोनाल्ड ट्रंप से करने लगे हैं। निजी व्यवसाय और सत्ता का मेल, परिवारवाद और राजनीतिक नैतिकता की अनदेखी के चलते यूनुस को गरीब बांग्लादेश का ट्रंप कहा जा रहा है, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।