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बिहार में मृत शिक्षक पर फर्जीवाड़े का मामला: CBI की कार्रवाई

बिहार के बांका जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां CBI ने एक मृत शिक्षक के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया है। निरंजन कुमार, जो 2021 में कोविड-19 के दौरान निधन हो गए थे, पर फर्जी शैक्षणिक प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप है। इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और परिजनों की प्रतिक्रिया।
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बिहार में मृत शिक्षक पर फर्जीवाड़े का मामला: CBI की कार्रवाई

बिहार में फर्जी शिक्षक का मामला

Bihar Fake Teacher Case: बिहार के बांका जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक शिक्षक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जो चार साल पहले 2021 में कोविड-19 के दौरान निधन हो चुके थे। यह मामला मिर्जापुर के सोनडीहा गांव का है, जहां प्राथमिक विद्यालय मेहरपुर के शिक्षक निरंजन कुमार पर फर्जी शैक्षणिक प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप लगाया गया है।


निरंजन कुमार की मृत्यु 2021 में कोविड संक्रमण के चलते हुई थी। उनके परिजनों ने उनके मृत्यु प्रमाण-पत्र की प्रतियां प्रखंड कार्यालय और जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में जमा की थीं। इसके बावजूद, 20 अगस्त 2025 को CBI के पुलिस निरीक्षक लाल मुहम्मद ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी। इस घटना ने शिक्षा विभाग और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


जांच में सामने आई नई जानकारी

जांच में आया सामने 


जांच के दौरान यह भी पता चला कि भागलपुर जिले की शिक्षिका पल्लवी कुमारी का प्रमाण-पत्र भी फर्जी है। पल्लवी प्राथमिक विद्यालय जगतापुर में कार्यरत थीं और वर्ष 2018 से लापता बताई जा रही हैं। इन दोनों मामलों ने शिक्षा विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।


परिजनों का आक्रोश

कार्रवाई को लेकर गहरा आक्रोश 


निरंजन कुमार के परिवार में इस कार्रवाई को लेकर गहरा आक्रोश है। उनकी पत्नी खुशबू कुमारी, बड़े भाई और पूर्व प्रखंड प्रमुख जितेंद्र यादव तथा छोटे भाई मनीष कुमार ने कहा कि यह कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है और मृतक की आत्मा का अपमान है। स्थानीय थानाध्यक्ष मंटू कुमार का कहना है कि शिक्षक का मृत्यु प्रमाणपत्र 22 अगस्त 2025 को उनके परिजनों ने दिया है और इसकी जानकारी निगरानी विभाग व वरीय अधिकारियों को भेजी जा रही है।


शिक्षा विभाग की लापरवाही

शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर 


जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के डीपीओ स्थापना संजय कुमार यादव ने भी स्वीकार किया कि निरंजन की मृत्यु कोरोना काल में ही हुई थी। यह मामला बिहार में शिक्षा विभाग और निगरानी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है। मृतक शिक्षक पर केस दर्ज करना न केवल प्रशासनिक चूक है बल्कि परिजनों के लिए भी अपमानजनक साबित हुआ है।