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चीन के गेलाओ समुदाय की अनोखी शादी की परंपरा: दांत तुड़वाने की रस्म

चीन के गेलाओ समुदाय की एक अनोखी परंपरा है जिसमें शादी से पहले दुल्हन को अपने ऊपरी दांत तुड़वाने होते हैं। यह रस्म सदियों पुरानी है और इसके पीछे एक दिलचस्प कथा है। जानें इस परंपरा के ऐतिहासिक प्रमाण, इसकी प्रक्रिया और इसके पीछे की मान्यताएं। क्या यह प्रथा अब भी प्रचलित है? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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गेलाओ समुदाय की प्राचीन परंपरा


नई दिल्ली: चीन में गेलाओ जातीय समूह की एक पुरानी परंपरा आज भी लोगों को चौंका देती है। इस परंपरा के अनुसार, विवाह से पूर्व दुल्हन को अपने एक या दो ऊपरी दांत तुड़वाने होते थे। यह प्रक्रिया अत्यंत दर्दनाक मानी जाती थी और इसे विवाह की अनिवार्य शर्त समझा जाता था। मान्यता थी कि यदि महिला के ऊपरी दांत सुरक्षित रहे, तो इससे दूल्हे के परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


गेलाओ समुदाय का परिचय

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, गेलाओ समुदाय चीन और वियतनाम में पाया जाता है। 2021 में, चीन में इस समुदाय की जनसंख्या लगभग 6 लाख 77 हजार थी। यह समुदाय मुख्य रूप से दक्षिणी चीन के गुइझोऊ प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित गेलाओ काउंटी में निवास करता है। ये लोग पारंपरिक रूप से कृषि पर निर्भर हैं, और चावल इनका मुख्य खाद्य पदार्थ है।


रस्म का ऐतिहासिक प्रमाण

कहां मिलता है इस रस्म का प्रमाण?


गेलाओ समाज में जब कोई लड़की लगभग 20 वर्ष की होती है, तो उसकी शादी की तैयारी शुरू होती है। इस दौरान उसके ऊपरी दांतों में से एक या दो दांत जानबूझकर तोड़ दिए जाते थे। इस रस्म के सबसे पुराने लिखित प्रमाण दक्षिणी सोंग राजवंश के समय के अभिलेखों में मिलते हैं, जो इस परंपरा की प्राचीनता को दर्शाते हैं।


दांत तोड़ने की कथा

क्यों तोड़े जाते थे दांत?


इस रस्म के पीछे एक लोक कथा भी है। कथा के अनुसार, एक बार एक गेलाओ युवती शादी से पहले फल इकट्ठा करते समय चट्टान से गिर गई, जिससे उसके सामने के दांत टूट गए। उसकी बहादुरी और त्याग से प्रभावित होकर समुदाय ने इसे सम्मान का प्रतीक मान लिया और धीरे-धीरे यह प्रथा विवाह से पहले दांत तुड़वाने की रस्म में बदल गई।


दांत तोड़ने की प्रक्रिया

कौन तोड़ता था दांत?


इस प्रक्रिया के दौरान एक विशेष अनुष्ठान किया जाता था। लड़की के मामा को सम्मानपूर्वक बुलाया जाता था और वही छोटे हथौड़े की मदद से दांत तोड़ते थे। यदि मामा जीवित न हों, तो मां की तरफ से किसी अन्य पुरुष रिश्तेदार को यह जिम्मेदारी दी जाती थी। दांत टूटने के बाद मसूड़ों पर तुरंत औषधीय पाउडर लगाया जाता था ताकि संक्रमण न हो।


परंपरा की मान्यता

क्या थी इसके पीछे की मान्यता?


कई मान्यताओं के अनुसार, यह परंपरा परिवार की समृद्धि और संतान सुख से जुड़ी थी। कुछ लोग इसे सौंदर्य से भी जोड़ते थे। हालांकि, आधुनिक समय में यह प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी है। अब इसे केवल प्रतीकात्मक रूप में याद किया जाता है और समुदाय के लोग इसे व्यवहार में नहीं अपनाते।