दफ्तरों में टॉक्सिक वर्ककल्चर: एक कर्मचारी की कहानी
दफ्तरों में बढ़ते टॉक्सिक वर्ककल्चर पर बहस
हाल ही में एक घटना ने दफ्तरों में बढ़ते टॉक्सिक वर्ककल्चर पर चर्चा को फिर से जीवित कर दिया है। एक कर्मचारी ने अपने दादा के निधन के बाद छुट्टी मांगी, लेकिन मैनेजर का जवाब सुनकर लोग चौंक गए। मैनेजर ने संवेदना व्यक्त की, लेकिन साथ ही कर्मचारी से व्हाट्सऐप पर सक्रिय रहने और ऑनबोर्डिंग कॉल में शामिल होने को कहा।
मैनेजर का असंवेदनशील जवाब
कर्मचारी ने व्हाट्सऐप पर लिखा, 'सर, मेरे नाना रात में गुजर गए। आज ऑफिस नहीं आ पाऊंगा।' मैनेजर ने दुख जताते हुए तुरंत कहा कि ऑनबोर्डिंग चल रही है, इसलिए उसे induction कॉल में रहना होगा और व्हाट्सऐप पर सक्रिय रहना चाहिए। यह चैट Reddit के 'IndianWorkplace' फोरम पर वायरल हो गई, जिससे मैनेजर के व्यवहार की आलोचना शुरू हो गई।
हम इंसान हैं, मशीन नहीं
कर्मचारी ने पोस्ट में लिखा कि पिछले दो वर्षों में एजेंसी ने उससे स्कोप से बाहर काम करवाया और कई कर्मचारियों को हटाकर अतिरिक्त जिम्मेदारियां थोप दीं। उसने कभी शिकायत नहीं की, लेकिन इस जवाब ने उसे स्तब्ध कर दिया। उसने सवाल उठाया, 'क्या मैनेजर्स भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं, कोई मशीन नहीं?'
सोशल मीडिया पर समर्थन
सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने कर्मचारी को नौकरी छोड़ने की सलाह दी। लोगों ने कहा कि 'Take the day off' के बाद 'but' नहीं आना चाहिए। कई ने सुझाव दिया कि वह अपनी सीमाएं तय करे ताकि भविष्य में ऐसा व्यवहार किसी और के साथ न हो। एक यूज़र ने कहा, 'आपके दुख के लिए संवेदना। मैनेजर को बताएं कि उसने गलत किया है।'
कंपनी के लिए वफादारी का सवाल
कई लोगों ने इसे प्रोफेशनलिज्म का सबसे खराब उदाहरण बताया। सुझाव दिया गया कि इस्तीफा देते समय कर्मचारी इस चैट को मेल में जोड़कर CEO और प्रबंधन को मार्क करे। एक यूजर ने लिखा, 'कंपनी के लिए वफादारी कभी मत दिखाओ, बिजनेस में भावनाओं की कोई जगह नहीं।'
इस्तीफा देने की योजना
कर्मचारी ने बाद में बताया कि वह मैनेजर के मैसेज का जवाब नहीं देगा और नए विकल्पों की तलाश कर रहा है। उसका इरादा वेतन आने के बाद नौकरी छोड़ने का है। यह घटना दर्शाती है कि भारत के कई कार्यस्थलों में संवेदनशीलता और मानवीय व्यवहार की कमी बनी हुई है।
