ब्रिटेन में 13 महीने के बच्चे की जिंदगी में आया बड़ा बदलाव, ड्रेन क्लीनर पीने से हुई गंभीर स्थिति
दर्दनाक हादसे का शिकार
नई दिल्ली: बर्मिंघम में एक 13 महीने के बच्चे की जिंदगी एक दुखद घटना के बाद पूरी तरह बदल गई है। सैम अनवर अलशमेरी, जो हाईगेट क्षेत्र में रहता है, ने गलती से घरेलू ड्रेन क्लीनर को दूध समझकर पी लिया, जिससे उसकी स्थिति गंभीर हो गई।
हादसे का विवरण
ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना मई में हुई, जब बच्चा बाथरूम में खेल रहा था और सफाई के लिए रखी ड्रेन क्लीनर की बोतल तक पहुंच गया।
सैम के पिता नदीन अलशमेरी ने बताया कि उस समय उसकी मां बाथरूम की सफाई कर रही थीं। बच्चे ने सफेद रंग की बोतल उठाई और उसे पी लिया, शायद उसे लगा कि यह दूध है। जब तक परिवार को इस बात का पता चला, तब तक उस तरल ने बच्चे के मुंह और शरीर के अंदर के हिस्सों को जला दिया था।
बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक संक्षारक रसायन ने बच्चे के होंठ, जीभ, मुंह और श्वासनली को गंभीर रूप से जला दिया है। उसकी बोलने की क्षमता भी खत्म हो गई है। नदीन ने कहा, 'जब हम अस्पताल पहुंचे, डॉक्टर उसकी स्थिति देखकर चकित रह गए। उन्होंने कहा कि ऐसा मामला उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।'
सैम को तुरंत बर्मिंघम महिला और बाल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी स्थिति और बिगड़ गई और उसे दिल का दौरा पड़ा। उसका दिल लगभग तीन मिनट तक बंद रहा, लेकिन डॉक्टरों की मेहनत से उसे फिर से बचा लिया गया।
लंबी चिकित्सा प्रक्रिया
बाद में, डॉक्टरों ने उसकी नाक की नली हटाकर पेट में एक स्थायी फीडिंग ट्यूब लगाई। उसकी श्वासनली इतनी क्षतिग्रस्त हो गई है कि उसका मुंह लगभग बंद हो गया है और केवल एक छोटा छेद खुला रह गया है, जिससे वह सामान्य तरीके से खाना या पानी नहीं निगल पा रहा है।
नदीन ने बताया कि डॉक्टर पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं कि अंदर कितना नुकसान हुआ है। हर डॉक्टर कुछ अलग बताता है। कभी कहते हैं कि सर्जरी हो सकती है, कभी कहते हैं कि जोखिम बहुत ज्यादा है।
परिवार की मदद की अपील
सैम फिलहाल घर पर है लेकिन उसे जल्द से जल्द पुनर्निर्माण सर्जरी की आवश्यकता है। हालांकि एनएचएस अस्पतालों ने अभी तक सर्जरी की कोई निश्चित तारीख नहीं दी है।
इसी कारण परिवार ने विदेश में इलाज के लिए धन जुटाने के लिए GoFundMe अभियान शुरू किया है। नदीन ने कहा, 'किराया, खाने और अन्य खर्चों के बीच मुश्किल से गुजारा हो रहा है। हम विदेश में इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। हमें मदद चाहिए। मैं बस चाहता हूं कि मेरा बच्चा ठीक हो जाए।'
