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भारत में वर्कप्लेस कल्चर पर युवा की कहानी ने छेड़ी बहस

एक युवा पेशेवर ने अपनी पहली नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया, जिससे भारत में वर्कप्लेस कल्चर पर बहस छिड़ गई। उसने बताया कि नौकरी की शर्तें विज्ञापन से भिन्न थीं, जिसमें उसे फुल-टाइम काम और कम सैलरी का सामना करना पड़ा। इस घटना पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं, जिसमें कुछ ने युवक की सराहना की, जबकि अन्य ने उसकी आलोचना की। जानें इस कहानी के पीछे की पूरी जानकारी और प्रतिक्रियाएं।
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भारत में वर्कप्लेस कल्चर पर युवा की कहानी ने छेड़ी बहस

नई दिल्ली में वर्कप्लेस कल्चर पर बहस


नई दिल्ली: एक युवा पेशेवर की Reddit पर की गई पोस्ट ने भारत में कार्यस्थल की संस्कृति, प्रारंभिक वेतन और नौकरी की अपेक्षाओं पर एक महत्वपूर्ण चर्चा शुरू कर दी है। युवक ने बताया कि उसने अपनी पहली नौकरी में शामिल होने के केवल तीन घंटे बाद ही उसे छोड़ दिया, क्योंकि नौकरी की शर्तें विज्ञापन से पूरी तरह भिन्न थीं।


उसके अनुसार, जिस नौकरी को वर्क फ्रॉम होम, पार्ट-टाइम और न्यूनतम कार्य दबाव के रूप में प्रस्तुत किया गया था, वह ऑनबोर्डिंग के समय पूर्णकालिक 9 घंटे की शिफ्ट में बदल गई। इसके अलावा, उसे केवल ₹12,000 प्रति माह की सैलरी दी गई, जिससे वह अत्यंत निराश हुआ।


नौकरी की शर्तें विज्ञापन से भिन्न

अपनी Reddit पोस्ट में उसने लिखा, 'आज मेरी पहली नौकरी लगी, लेकिन जॉइन करने के बाद पता चला कि यह 9 घंटे की फुल-टाइम शिफ्ट है। सैलरी भी केवल 12,000 थी। तीन घंटे काम करने के बाद मुझे समझ आया कि मैं इस शेड्यूल के साथ अपनी परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाऊंगा, इसलिए मैंने तुरंत नौकरी छोड़ दी।'


युवक ने कहा कि उसे पार्ट-टाइम नौकरी बताकर फुल-टाइम काम दिया गया, जो उसके करियर की योजनाओं के खिलाफ था। उसने टिप्पणी में लिखा, 'मैं एक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं। उन्होंने पार्ट-टाइम जॉब का विज्ञापन दिया और मुझे फुल-टाइम काम सौंप दिया। ऐसा कार्य वातावरण मेरे लिए सही नहीं है।'


पोस्ट पर मिली प्रतिक्रियाएं

इस पोस्ट के वायरल होने के बाद कई प्रतिक्रियाएं आईं। कई उपयोगकर्ताओं ने युवक की सराहना की कि उसने शुरू में ही अपनी सीमाएं स्पष्ट कर दीं और गलत शर्तों पर काम स्वीकार नहीं किया। एक यूजर ने लिखा, 'अगर नौकरी आपके दीर्घकालिक लक्ष्यों को नुकसान पहुंचा रही है, तो उसे छोड़ना बिल्कुल सही है।'


हालांकि, कुछ लोगों ने युवक की आलोचना भी की। एक टिप्पणी में कहा गया, 'हर पहली नौकरी कठिन होती है। शुरुआत में दस्तावेज, प्रशिक्षण, और नए सिस्टम को समझना थका देने वाला होता है। इसका मतलब यह नहीं कि नौकरी छोड़ दी जाए।' एक अन्य यूजर ने कहा, 'अगर आप इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो शायद ही कोई नौकरी आपके लिए ठीक बैठेगी। हर जॉब में मुश्किल दिन आते हैं।'


दूसरी ओर, कई उपयोगकर्ताओं ने भारतीय कार्यस्थल की संस्कृति पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, '9 घंटे की शिफ्ट, वह भी 7 दिन, यह वास्तव में गलत है। इतनी कम सैलरी में इतना काम किसी के लिए भी उचित नहीं है।' एक अन्य यूजर ने कहा, 'टॉक्सिक वर्कप्लेस भारत में सामान्य बन चुका है। यह पोस्ट इसका ताजा उदाहरण है।'