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होली और जुमे की नमाज: संभल और कानपुर में समय में बदलाव

संभल और कानपुर की जामा मस्जिद कमेटियों ने 14 मार्च को होली और जुमे की नमाज के समय में बदलाव किया है। अब जुमे की नमाज दोपहर 2:30 बजे अदा की जाएगी। यह निर्णय शहर में शांति और भाईचारा बनाए रखने के लिए लिया गया है। प्रशासन ने सभी से अपील की है कि वे होली खेलते समय नमाज के समय का ध्यान रखें। जानें इस बदलाव के पीछे की वजह और सुरक्षा निर्देश।
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जुमे की नमाज का समय बदला गया

Juma Namaz time changed: संभल और कानपुर की जामा मस्जिद कमेटियों ने 14 मार्च को होली और जुमे की नमाज एक ही दिन होने के कारण नमाज का समय बदलने का निर्णय लिया है। अब, जुमे की नमाज दोपहर 2:30 बजे अदा की जाएगी। प्रशासन और मस्जिद कमेटियों ने सभी से शांति बनाए रखने और सौहार्दपूर्ण माहौल में त्योहार मनाने की अपील की है।


शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया कदम

संभल जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष, एडवोकेट जफर अली ने इस बदलाव की जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय शहर में अमन और भाईचारा बनाए रखने के लिए लिया गया है। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि होली और जुमे की नमाज एक ही दिन पड़ रहे थे, जिससे पहले असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।


होली के दिन नमाज का समय

होली के दिन कितना बजे होगी नमाज?


संभल में जिला प्रशासन ने होली के दिन की सुरक्षा को लेकर कुछ निर्देश जारी किए हैं। एसपी ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे होली खेलते समय 2:30 बजे तक इसका समापन कर लें, ताकि नमाज के समय कोई परेशानी न हो। वहीं, कानपुर की जामा मस्जिद कमेटी ने भी इसी दिन के लिए नमाज का समय बदलकर दोपहर 2:30 बजे कर दिया है और इस फैसले की सूचना मस्जिद के बाहर नोटिस के रूप में दी गई है।


सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए निर्देश

कानपुर मस्जिद प्रबंधन ने अपने नोटिस में कहा है कि सभी मुसलमान घरों में रहकर इबादत करें और बेवजह बाहर न निकलें। यह कदम सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा, मस्जिद कमेटी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मोहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ना चाहता है, तो वह वहां जा सकता है।


सभी समुदायों से अपील

दोनों शहरों की मस्जिद कमेटियों और प्रशासन ने समुदायों से अपील की है कि वे होली और जुमे की नमाज को प्रेम और सौहार्द के साथ मनाएं, ताकि दोनों धार्मिक समुदायों के बीच शांति बनी रहे और कोई असमंजस न उत्पन्न हो।