2024 में परमाणु हथियारों की वृद्धि: वैश्विक सुरक्षा पर खतरा

दुनिया के परमाणु-सशस्त्र देशों की स्थिति
नई दिल्ली: विश्व के नौ परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र—अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़राइल—2024 में अपने परमाणु हथियारों को और अधिक उन्नत करने में लगे रहे। इन देशों ने पुराने हथियारों को अपग्रेड किया और नए, अधिक शक्तिशाली हथियारों को अपने सैन्य भंडार में शामिल किया। यह स्थिति वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बनती जा रही है।
परमाणु हथियारों की संख्या
जनवरी 2025 तक, दुनिया में लगभग 12,241 परमाणु हथियार होने का अनुमान है। इनमें से लगभग 9,614 हथियार सैन्य भंडार में उपयोग के लिए तैयार हैं। लगभग 3,912 हथियार मिसाइलों और विमानों पर तैनात हैं, जबकि शेष केंद्रीय भंडारण में रखे गए हैं। लगभग 2,100 तैनात हथियार बैलिस्टिक मिसाइलों पर उच्च सतर्कता की स्थिति में हैं, जिनमें से अधिकांश रूस और अमेरिका के पास हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन भी शांतिकाल में कुछ हथियारों को मिसाइलों पर तैनात कर सकता है।
परमाणु हथियारों की कमी का युग समाप्त
शीत युद्ध के अंत के बाद, रूस और अमेरिका ने पुराने हथियारों को नष्ट करने की प्रक्रिया जारी रखी, जिससे वैश्विक परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आई। लेकिन अब यह प्रवृत्ति बदल रही है। पुराने हथियारों को नष्ट करने की गति धीमी हो रही है, जबकि नए हथियारों की तैनाती में तेजी आ रही है।
रूस और अमेरिका का परमाणु भंडार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के विशेषज्ञ हंस एम. क्रिस्टेनसेन ने कहा कि परमाणु हथियारों की संख्या में कमी का युग समाप्त हो रहा है। अब हम परमाणु हथियारों में वृद्धि, तीखी बयानबाजी और हथियार नियंत्रण समझौतों को छोड़ने की प्रवृत्ति देख रहे हैं।
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 90% परमाणु हथियार हैं। 2024 में दोनों देशों के सैन्य भंडार स्थिर रहे, लेकिन दोनों अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने में जुटे हैं। यदि 2010 का न्यू START समझौता, जो 2026 में समाप्त हो रहा है, को फिर से नवीनीकरण नहीं किया गया, तो दोनों देशों की मिसाइलों पर तैनात हथियारों की संख्या बढ़ सकती है।
अमेरिका और रूस की चुनौतियाँ
अमेरिका का परमाणु आधुनिकीकरण कार्यक्रम 2024 में योजना और फंडिंग की समस्याओं का सामना कर रहा था, जिससे लागत में वृद्धि हो सकती है। रूस को भी नई सरमत मिसाइल के परीक्षण में विफलता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फिर भी, दोनों देश भविष्य में अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा सकते हैं।
चीन और भारत की परमाणु स्थिति
SIPRI के अनुसार, चीन के पास अब कम से कम 600 परमाणु हथियार हैं। 2023 से हर साल चीन अपने हथियारों में 100 की वृद्धि कर रहा है। जनवरी 2025 तक, चीन ने 350 नई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) साइलो बनाए या लगभग पूरे कर लिए। यदि चीन इसी गति से आगे बढ़ा, तो दशक के अंत तक उसके पास रूस या अमेरिका जितनी ICBM हो सकती हैं। हालांकि, 2035 तक भी यदि चीन के पास 1,500 हथियार हो गए, तो यह रूस और अमेरिका के भंडार का केवल एक-तिहाई होगा।
भारत ने 2024 में अपने परमाणु हथियारों में थोड़ी वृद्धि की और नए डिलीवरी सिस्टम विकसित किए। भारत की नई "कैनिस्टराइज्ड" मिसाइलें, जो परमाणु हथियारों को ले जा सकती हैं, शांतिकाल में भी तैनात हो सकती हैं। कुछ मिसाइलें एक से अधिक हथियार ले जाने में सक्षम हो सकती हैं।
पाकिस्तान की स्थिति
पाकिस्तान भी नए डिलीवरी सिस्टम विकसित कर रहा है और परमाणु सामग्री का भंडार बढ़ा रहा है। 2025 की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष हुआ, जिसने परमाणु संकट का खतरा पैदा किया। SIPRI के विशेषज्ञ मैट कोर्डा ने कहा कि यह घटना उन देशों के लिए चेतावनी है जो परमाणु हथियारों पर निर्भरता बढ़ा रहे हैं।