2025 का अंतिम सुपरमून: कोल्ड सुपरमून का अद्भुत नजारा
2025 का आखिरी सुपरमून आज रात
आज रात (4 दिसंबर 2025) साल का अंतिम और सबसे प्रभावशाली सुपरमून आसमान में दिखाई देगा। इसे 'कोल्ड सुपरमून' या 'ठंडी पूर्णिमा' के नाम से जाना जाता है। यह 2025 की दूसरी सबसे बड़ी और चमकदार पूर्णिमा होगी, जो सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 10-14 प्रतिशत बड़ी और 30 प्रतिशत तक अधिक रोशनी वाली नजर आएगी।
सूर्यास्त के तुरंत बाद पूर्वी क्षितिज पर जब यह विशाल चांद उगेगा, तो उसका दृश्य वास्तव में मंत्रमुग्ध कर देने वाला होगा। इसकी कम ऊंचाई के कारण 'मून इल्यूजन' (चंद्र भ्रम) के चलते यह और भी बड़ा दिखाई देगा, विशेषकर जब यह पेड़ों, इमारतों या पहाड़ों के सामने हो। भारत के हर हिस्से से इसे बिना किसी विशेष उपकरण के नंगी आंखों से देखा जा सकेगा।
सुपरमून की विशेषताएँ
सुपरमून तब बनता है जब पूर्णिमा उस समय होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब (पेरिजी) होता है। आज रात चंद्रमा की दूरी लगभग 3,57,000 किलोमीटर होगी, जो औसत दूरी से काफी कम है। यही कारण है कि यह बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। दिसंबर की पूर्णिमा को उत्तरी गोलार्ध में सदियों से 'कोल्ड मून' कहा जाता है, क्योंकि यह साल की सबसे लंबी और ठंडी रातों में आती है।
भारत में इसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा या धनु पूर्णिमा भी कहा जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। 2025 में यह विशेष है कि तीन लगातार पूर्णिमाएं (अक्टूबर, नवंबर और अब दिसंबर) सुपरमून की श्रेणी में आईं। आज की पूर्णिमा इस तिकड़ी की सबसे शानदार समाप्ति है। अगली सुपरमून श्रृंखला अब 2026 में आएगी।
देखने का सही समय और तरीका
सूर्यास्त के 10-15 मिनट बाद पूर्व दिशा में नजर रखें।
जितना खुला आसमान होगा, उतना बेहतर।
शहरों में किसी ऊंची जगह या छत पर जाएं, ताकि इमारतें नजर न आएं।
यह पूर्णिमा रात भर दिखाई देगी, लेकिन सूर्यास्त के समय का दृश्य सबसे यादगार रहेगा।
अगर बादल न हों, तो आज रात का चांद सचमुच जादुई होगा।
