Afghanistan ने पाकिस्तान के डेलिगेशन को वीज़ा देने से किया इनकार: क्या है इसके पीछे का कारण?

Afghanistan Refuses Visa to Pakistani Delegation
Afghanistan ने पाकिस्तान के डेलिगेशन को वीज़ा देने से किया इनकार: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। काबुल ने पाकिस्तान के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे के अनुरोध को बार-बार अस्वीकार कर दिया है। पिछले तीन दिनों में, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ, आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक और दो अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने अफगानिस्तान जाने के लिए वीज़ा आवेदन किया था, लेकिन इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (IEA) ने सभी को अस्वीकार कर दिया।
क्षेत्रीय उल्लंघन बने विवाद की जड़
काबुल ने वीज़ा इनकार के पीछे जो कारण बताए हैं, वे औपचारिक कूटनीति से परे हैं। अफगान अधिकारियों ने कहा है कि पाकिस्तान द्वारा अफगान हवाई क्षेत्र का उल्लंघन और पक्तिका प्रांत में नागरिक क्षेत्रों पर हालिया हवाई हमले इस निर्णय का मुख्य कारण हैं। अफगानिस्तान का कहना है कि जब उसके नागरिकों पर हमले हो रहे हैं, तब किसी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का दौरा स्वीकार करना "असंभव" है।
संप्रभुता से कोई समझौता नहीं
IEA ने इस निर्णय के माध्यम से न केवल एक कूटनीतिक संदेश दिया है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि वह अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। अफगान सरकार का कहना है कि पाकिस्तान ने सीमाओं का उल्लंघन किया है और अब काबुल सरकार किसी भी बातचीत को पाकिस्तान की शर्तों पर नहीं करेगी। अफगान नेतृत्व का यह रुख क्षेत्रीय संतुलन के लिए एक मजबूत राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
दोनों देशों के रिश्ते नाज़ुक मोड़ पर
विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान द्वारा वीज़ा देने से इनकार करना, दोनों देशों के बीच बढ़ते अविश्वास और असहमति का संकेत है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाया है, जबकि अफगानिस्तान का कहना है कि पाकिस्तान उसकी सीमाओं का उल्लंघन कर रहा है। ये आरोप-प्रत्यारोप दोनों देशों के संबंधों को और जटिल बना रहे हैं।
कूटनीतिक अपमान या आत्म-सम्मान की रक्षा?
अफगानिस्तान का यह कदम केवल एक औपचारिक वीज़ा इनकार नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व को एक कड़ा संदेश है। यह दर्शाता है कि काबुल अब किसी भी प्रकार के दबाव या सैन्य कार्यवाही को नजरअंदाज नहीं करेगा। कूटनीतिक स्तर पर यह निर्णय पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है और यह दक्षिण एशिया में बदलते शक्ति समीकरण की ओर भी इशारा करता है।