BRICS बैठक में भारत की भूमिका: वैश्विक सहयोग और सुधार की आवश्यकता

BRICS बैठक का सारांश
BRICS बैठक: न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित BRICS देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने समूह की बहुपक्षीयता और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। इस बैठक की मेज़बानी करते हुए, जयशंकर ने BRICS को 'शांति, संवाद और कूटनीति' का प्रतीक बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक अस्थिरता और बहुपक्षीय व्यवस्था की चुनौतियों के बीच, BRICS की आवाज तर्क, संतुलन और परिवर्तन का प्रतीक बनी हुई है।
BRICS की वैश्विक व्यवस्था में भूमिका
अपने संबोधन में, एस. जयशंकर ने कहा कि जब बहुपक्षीयता संकट में है, तब BRICS ने तर्क और रचनात्मक बदलाव की एक मजबूत आवाज के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है। उन्होंने यह भी कहा कि एक अशांत विश्व में, BRICS को शांति निर्माण, संवाद, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन का संदेश और मजबूत करना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि BRICS को सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में व्यापक सुधार की सामूहिक मांग को तेज करना चाहिए। यह मांग BRICS देशों की लंबे समय से चली आ रही उस सोच को दोहराती है जिसमें वे एक अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण और जवाबदेह वैश्विक शासन प्रणाली की वकालत करते हैं।
आर्थिक चुनौतियों और व्यापार सहयोग
जयशंकर ने व्यापार में आ रही बाधाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि संरक्षणवाद, टैरिफ की अस्थिरता और गैर-टैरिफ रुकावटें व्यापार प्रवाह को प्रभावित कर रही हैं। BRICS को बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन करना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने तकनीक और नवाचार को BRICS सहयोग के अगले चरण के लिए महत्वपूर्ण बताया।
भारत की BRICS अध्यक्षता और प्राथमिकताएं
विदेश मंत्री ने भारत की BRICS अध्यक्षता की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की अध्यक्षता खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल परिवर्तन, स्टार्टअप, नवाचार और विकास साझेदारी के माध्यम से सतत विकास पर केंद्रित होगी। यह एजेंडा भारत के ग्लोबल साउथ के प्रति समर्थन को दर्शाता है।
IBSA देशों के विदेश मंत्रियों से बातचीत
जयशंकर ने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि IBSA ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में परिवर्तनकारी सुधार की मजबूत मांग की। इसके अलावा, बैठक में IBSA अकादमिक फोरम, समुद्री अभ्यास, ट्रस्ट फंड और आपसी व्यापार पर भी चर्चा हुई। जयशंकर ने कोलंबिया की विदेश मंत्री रोजा योलांडा विलाविसेंसियो के साथ India-CELAC (लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों का समुदाय) की बैठक की सह-अध्यक्षता की। दोनों पक्षों ने कृषि, व्यापार, स्वास्थ्य और डिजिटल जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष, नवीकरणीय ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में साझेदारी की संभावना पर भी चर्चा की।
द्विपक्षीय मुलाकातों का महत्व
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, जयशंकर ने कई समकक्षों से द्विपक्षीय मुलाकातें कीं, जिनमें शामिल थे:
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इंडोनेशिया के विदेश मंत्री सुगियोनो
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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव
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एंटीगुआ और बारबुडा के विदेश मंत्री पॉल चेट ग्रीन
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उरुग्वे के विदेश मंत्री मारियो लुबेटकिन
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कोलंबिया की विदेश मंत्री रोजा योलांडा विलाविसेंसियो
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इन मीटिंग में पारस्परिक हितों पर चर्चा के साथ-साथ वैश्विक सहयोग को मजबूती देने की दिशा में भी संवाद हुआ।